नई दिल्ली। पेरिस ओलंपिक में रेसलर विनेश फोगाट ने सिल्वर मेडल की अपील खारिज होने के बाद शुक्रवार को पहली बार प्रतिक्रिया दी है। इस तीन पन्नों के लेटर में विनेश ने अपने सपनों को लेकर बात की है और मेडल ना मिलने का दर्द भी बयां किया है।
विनेश फोगाट ने एक्स पर तीन पन्नों का लेटर शेयर किया है। इसमें उन्होंने अपनी पूरी यात्रा लेकर बात की है। विनेश अपने पिता, मां और पति के साथ-साथ अब तक के सफर का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा-जब मैं छोटी थी तब मुझे ओलंपिक्स के बारे में जानकारी नहीं थी। मैं भी हर छोटी बच्ची की तरह लंबे बाल रखना चाहती थी। फोन को हाथ में लेकर घूमना चाहती थी। मेरे पिता एक सामान्य बस ड्राइवर हैं। वे अपनी बेटी को हवाई जहाज में उड़ते हुए देखना चाहते थे। मैंने अपने पिता का सपना पूरा कर दिया। जब वे मुझे इसका जिक्र करते हैं तो मैं हस देती हूं।
भाग्य ने हमारा साथ नहीं दिया
विनेश फोगाट ने दिल टूटने के बारे में बात करते हुए कहा कि कहने को बहुत कुछ है, लेकिन शब्द कभी भी पर्याप्त नहीं होंगे। 6 अगस्त की रात और 7 अगस्त की सुबह, मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि हमने हार नहीं मानी, हमारे प्रयास नहीं रुके और हमने आत्मसमर्पण नहीं किया। समय और भाग्य ने हमारा साथ नहीं दिया।
इस गाने में छुपा है विनेश का दर्द
विनेश ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर खुद की एक फोटो शेयर की है। पेरिस ओलंपिक के दौरान मैच जीतने के बाद की इस तस्वीर के साथ उन्होंने बी पराग के गीत ‘जिंदगी सिद्दी कर देंदा’ को बैकग्राउंड में यूज किया। इसके बोल है कि रब्बा जब मेरी बारी आई तो तू सोता ही रह गया। ना प्यार दिया और ना ही सुकून। इस गाने में विनेश का दर्द साफ दिखाई दे रहा था।
पति और मां का भी किया जिक्र
विनेश ने पत्र में अपने पति औ मां का भी जिक्र किया है। उन्होंने लिखा-तमाम मुश्किलों के बावजूद मेरे परिवार ने भगवान पर भरोसा रखा। हमें यह यकीन रहा है कि जो भगवान ने हमारे लिए सोचा होगा वह अच्छा ही सोचा होगा। मेरी मां हमेशा कहती हैं कि भगवान कभी अच्छे लोगों के जीवन में बुरी चीजें नहीं आने देते हैं। मुझे इस बात पर तब और ज्यादा यकीन हो गया जब मैं अपने पति सोमवीर के साथ जीवन के रास्ते पर आगे बढ़ी। उन्होंने मेरा पूरा साथ दिया।
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