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रील्स की लत से बढ़ता स्क्रीन टाइम: ब्रेन हेल्थ और आंखों पर गंभीर खतरा!

आज के डिजिटल युग में रील्स देखने की आदत इतनी बढ़ गई है कि स्क्रीन टाइम में भारी इजाफा हो रहा है

रील्स की लत से बढ़ता स्क्रीन टाइम: ब्रेन हेल्थ और आंखों पर गंभीर खतरा!

आज के डिजिटल युग में रील्स देखने की आदत इतनी बढ़ गई है कि स्क्रीन टाइम में भारी इजाफा हो रहा है। यह आदत न केवल आंखों बल्कि ब्रेन हेल्थ और शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रही है।

बढ़ता स्क्रीन टाइम: हेल्थ के लिए खतरा!

मोबाइल फोन पर लगातार रील्स स्क्रॉल करना, वीडियो देखना और गेम खेलना लोगों की शारीरिक सक्रियता को कम कर रहा है। इससे मोटापा, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई इस समस्या से जूझ रहा है।

मायोपिया के बढ़ते मामले: आंखों पर गंभीर असर

आंखों के डॉक्टरों का कहना है कि बढ़ते स्क्रीन टाइम की वजह से मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

 1990 में मायोपिया के 24% मामले थे, जो 2023 में बढ़कर 36% हो गए।
हर दिन 1 घंटे से ज्यादा स्क्रीन देखने से मायोपिया का खतरा 21% बढ़ सकता है।
2050 तक 40% बच्चे इस समस्या से पीड़ित हो सकते हैं।

मायोपिया में पास की चीजें तो साफ दिखती हैं, लेकिन दूर की चीजें धुंधली नजर आती हैं।

स्क्रीन टाइम से जुड़ी अन्य समस्याएं

 आंखों में जलन, खुजली और धुंधलापन।
ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी।
चिड़चिड़ापन, गुस्सा और मानसिक अस्थिरता।
स्क्रीन की नीली रोशनी नींद के हार्मोन मेलाटोनिन को बाधित करती है, जिससे नींद की समस्या होती है।

कैसे कम करें स्क्रीन टाइम?

 हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए ब्रेक लें और दूर देखें।
स्क्रीन ब्राइटनेस कम करें और ब्लू लाइट फिल्टर का इस्तेमाल करें।
सोने से 1 घंटे पहले स्क्रीन से दूरी बनाएं।
बच्चों को आउटडोर एक्टिविटीज के लिए प्रेरित करें।

निष्कर्ष

अगर स्क्रीन टाइम को नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर और स्थायी प्रभाव डाल सकता है। रील्स देखने की लत से बचें और अपने ब्रेन हेल्थ और आंखों की सेहत का ध्यान रखें!

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