किसानों का संघर्ष: MSP कानून और अन्य मांगों पर केंद्र से फिर बातचीत बेनतीजा
पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर लंबे समय से आंदोलन कर रहे किसानों का संघर्ष जारी है।
- Published On :
25-Feb-2025
(Updated On : 25-Feb-2025 11:04 am )
किसानों का संघर्ष: MSP कानून और अन्य मांगों पर केंद्र से फिर बातचीत बेनतीजा
नई दिल्ली | पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर लंबे समय से आंदोलन कर रहे किसानों का संघर्ष जारी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाने, बिजली बिल में संशोधन और अन्य मांगों को लेकर केंद्र सरकार के साथ अब तक छह दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है।

दिल्ली कूच का फैसला फिलहाल टला, 19 मार्च को फिर होगी बैठक
रविवार को शंभू बॉर्डर पर हुई किसान नेताओं की बैठक के बाद सोमवार सुबह फिर से सरकार और किसानों के बीच वार्ता हुई। किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने कहा कि फिलहाल 25 फरवरी को दिल्ली कूच का फैसला टाल दिया गया है। अब 19 मार्च को केंद्र सरकार के साथ एक और बैठक होगी। यदि इस बैठक में भी कोई हल नहीं निकलता, तो 25 मार्च को 101 किसानों का जत्था दिल्ली कूच करेगा।
छठे दौर की वार्ता भी रही बेनतीजा
शनिवार को चंडीगढ़ में किसानों और केंद्र सरकार के बीच हुई छठे दौर की वार्ता करीब ढाई घंटे चली, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया। अगली बैठक 19 मार्च को तय की गई है। बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दोनों पक्षों के आंकड़ों की तुलना की जाएगी। किसानों के पास अपने आंकड़े हैं और सरकार के पास अपनी रिपोर्ट।
डल्लेवाल ने ठुकराई अनशन खत्म करने की अपील
बैठक में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रह्लाद जोशी और पीयूष गोयल ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से अनशन खत्म करने की अपील की। लेकिन डल्लेवाल ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक सभी फसलों पर MSP की गारंटी नहीं मिलती, तब तक अनशन जारी रहेगा।

बैठक में कौन-कौन रहा मौजूद?
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केंद्र सरकार: कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और पीयूष गोयल
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पंजाब सरकार: कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुडि्डयां, वित्त मंत्री हरपाल चीमा, मंत्री लाल चंद कटारूचक्क
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किसान संगठन: संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के प्रमुख जगजीत सिंह डल्लेवाल, किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर सहित 28 किसान नेता
अब सबकी निगाहें 19 मार्च की बैठक पर टिकी हैं। अगर इस वार्ता में भी कोई समाधान नहीं निकलता, तो किसान संगठन अपने अगले कदम की घोषणा कर सकते हैं।
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