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यूपी के सीएम योगी के फैसले पर एनडीए में हड़कंप, कई सहयोगियों ने जताया विरोध

जदयू, लोजपा सहित कई दल विरोध में उतरे

योगी आदित्यनाथ

नई दिल्ली। 22 जुलाई से सावन शुरू हो रहा है और इसी दिन से पूरे देश में कावड़ यात्रा भी शुरू हो जाएगी। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ा फैसला लेते हुए खाने-पीने की सभी दुकानों पर दुकान मालिक का नाम लिखने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही भोजन में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल नहीं करने का आदेश भी दिया गया है। योगी के इस फैसले के बाद एनडीए में हड़कंप मच गया है। कई सहयोगी दलों के नेताओं ने योगी के इस फैसले का विरोध किया है।

एनडीए की प्रमुख सहयोगी जनता दल यूनाइटेड की प्रतिक्रिया आई। इस प्रतिक्रिया ने दिखाया कि योगी सरकार के फैसले से एनडीए में खटपट दिख रही है। यह पहली बार है जब किसी मुद्दे को लेकर एनडीए में सरकार गठन के बाद मतभेद दिखे। खास बात है कि यह खटपट भी केंद्र के फैसले से नहीं बल्कि एक राज्य सरकार के फैसले से दिख रही है। अब सवाल है कि एनडीए का अगुआ दल होने के नाते बीजेपी इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करती है। एनडीए के सहयोगी दल ही सरकार से आदेश वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, राज्य सरकार ने इसे ऐच्छिक कर दिया है।

जेडीयू आदेश वापस लेने को कहा

जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों पर मालिकों का नाम प्रदर्शित करने के मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश को वापस लिया जाना चाहिए। त्यागी का कहना था कि इससे सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है। त्यागी ने कहा कि धर्म और जाति के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। जदयू नेता ने कहा कि धर्म के आधार पर इस तरह का भेदभाव गलत है और इससे सांप्रदायिक विभाजन ही बढ़ेगा। त्यागी ने कहा कि यह फरमान प्रधानमंत्री मोदी की 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' वाली अवधारणा के विरूद्ध है। इससे सांप्रदायिक विभाजन होता है।

चिराग पासवान ने भी किया विरोध

केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने भोजनालयों के मालिकों से उनके नाम प्रदर्शित करने संबंधी मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश का खुलकर विरोध किया। चिराग ने कहा कि वह जाति या धर्म के नाम पर भेद किए जाने का कभी भी समर्थन नहीं करेंगे। मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश से सहमति के सवाल पर चिराग ने कहा कि नहीं, मैं बिलकुल सहमत नहीं हूं। चिराग ने कहा, उनका मानना है कि समाज में अमीर और गरीब दो श्रेणियों के लोग मौजूद हैं। विभिन्न जातियों एवं धर्मों के व्यक्ति इन दोनों ही श्रेणियों में आते हैं।

रालोद ने भी आदेश को असंवैधानिक बताया

रालोद की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रामाशीष राय ने आदेश का विरोध करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश प्रशासन का दुकानदारों को दुकान पर अपना नाम और धर्म लिखने का निर्देश देना जाति और सम्प्रदाय को बढ़ावा देने वाला कदम है। प्रशासन इसे वापस ले, यह असंवैधानिक निर्णय है। बिजनौर लोकसभा सीट से रालोद सांसद चंदन चौहान ने कहा कि ''गंगा-जमुनी तहजीब' को बचा कर रखना चाहिए।

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