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सबकुछ पता होते हुए भी आपको क्यों नहीं बचा रहे पटवारी, चड्‌ढा ने कहा-उनकी भी कोई मजबूरियां होंगी

HBTVNEWS के न्यूज हेड हरीश फतेहचंदानी की सुरजीतसिंह चड्‌ढा से एक्सक्लूसिव बातचीत

(HBTVNEWS के न्यूज हेड हरीश फतेहचंदानी से एक्सक्लूसिव बातचीत में विजयवर्गीय विवाद पर खुलकर बोले सुरजीतसिंह चड्‌ढा)

इंदौर। कांग्रेस कार्यालय में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के स्वागत का मामला और तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले में निलंबन की कार्रवाई का संताप झेल रहे शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्‌ढा का कहना है कि सबकुछ प्रदेश अध्यक्ष की जानकारी में हुआ। स्वागत के निर्देश भी उन्होंने ही दिए थे। जब चड्‌ढा से पूछा गया तो प्रदेश अध्यक्ष आपको क्यों नहीं बचा पा रहे, तब जवाब मिला-उनकी भी कोई मजबूरियां होंगी। इधर, सूत्र बताते हैं कि भोपाल की बैठक में उमंग सिंगार सहित अन्य नेताओं ने इतना दबाव बनाया कि पटवारी इस कार्रवाई को रोक नहीं पाए। इससे साफ जाहिर है कि प्रदेश अध्यक्ष होते हुए भी पटवारी की पार्टी में हैसियत क्या है, जो अपने ही नेताओं से उन्हें मुंह छुपाना पड़ रहा है।

सवाल-क्या प्रदेश अध्यक्ष को मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के गांधी भवन आने की जानकारी थी?

जवाब-मेरे पास पहले कैलाश विजयवर्गीय का फोन आया। उस समय वे भाजपा कार्यालय में थे। उसके तुरंत बाद प्रदेश अध्यक्ष का फोन आया और उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या कैलाशजी गांधी भवन रहे हैं? मैंने कहा- हां, ऐसी सूचना है।

सवाल-फिर प्रदेश अध्यक्ष ने क्या कहा?

जवाब-प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आ रहे हैं तो आने दीजिए। हमारी परंपरा के अनुसार अच्छे से स्वागत-सत्कार कीजिए। प्रदेश अध्यक्ष ने नगर निगम से जुड़े कुछ मुद्दे भी विजयवर्गीय के सामने रखने के लिए दिए थे।

सवाल- फिर आपने विजयवर्गीय के सामने रखे मुद्दे?

जवाब-हां हमने नगर निगम में चल रहे घोटालों पर चर्चा की। यह भी कहा कि पहले जो पेड़ लगे हैं, वे बचाए नहीं जा सके। इन्हें सहेजना जरूरी है।

सवाल-फिर संगठन द्वारा आपको भेजे नोटिस में विजयवर्गीय के स्वागत-सत्कार पर सवाल उठाए गए हैं?

जवाब- यही तो समझ नहीं आ रहा। घर आए अतिथि का अपमान तो नहीं कर सकते। राजनीतिक सौहार्द की अपनी परंपरा के मुताबिक उनका स्वागत किया। चाय-नाश्ता तो कोई भी अतिथि आता है उसको करवाते हैं। यह तो इंदौर की परंपरा रही है। यहां तो ओटलों और ठियों की राजनीति चलती रही है। जहां भाजपा व कांग्रेस के सभी वरिष्ठ एक साथ बैठ कर शहर के मुद्दों पर चर्चा किया करते थे। प्रदेश अध्यक्ष की सहमति से इसी परंपरा का पालन किया।

सवाल-फिर आप पर निलंबन की कार्रवाई क्यों हो गई?

जवाब-यह तो प्रदेश अध्यक्ष ही जानें। अब वे जिम्मेदारी लेने से मुकर रहे हैं तो यह उनकी अपनी समस्या है। जब मुझे पता लगा कि इस आयोजन में गृह मंत्री अमित शाह आ रहे हैं और यह पूरी तरह भाजपा का आयोजन है, तो मैंने वरिष्ठ नेताओं से चर्चा की। इसके बाद इस कार्यक्रम में कोई नहीं गया। हमने तय किया कि 21 जुलाई को राजीव गांधी की जयंती से हम भी पौधारोपण की शुरुआत करेंगे।

सवाल-फिर क्या आप अपनी बात रखने दिल्ली चले गए?

जवाब-नहीं…नहीं। मैं एक पारिवारिक कार्यक्रम में 28 जुलाई को दिल्ली गया था। यह नोटिस तो 29 जुलाई को मीडिया के सामने आया।

सवाल-लेकिन आपको तो पता ही था?

जवाब-हां, मुझे 24 जुलाई को नोटिस मिल गया था, लेकिन पारिवारिक कार्यक्रम तो पहले से तय था।

सवाल-प्रदेश अध्यक्ष आपको बचाने की कोशिश क्यों नहीं कर रहे?

जवाब-उन्होंने मुझसे कहा है कि नोटिस का जवाब दे दो। मैंने दे दिया है। जहां तक बचाने की बात है, हो सकता है उनकी भी कुछ मजबूरियां हों।

सवाल-प्रदेश में डूब रही कांग्रेस को क्या आपके जैसे समर्पित कार्यकर्ता के साथ ऐसा करना चाहिए?

जवाब-मुझे इस बात का दु:ख है। 6 जुलाई को एक साल हो गए मुझे पद संभाले हुए। इस दौरान जो भी आयोजन हुए, मैंने किसी से कोई आर्थिक सहयोग नहीं लिया। सब कुछ अपनी जेब से किया। विधानसभा चुनाव में मेरे ही प्रयासों से 2 लाख 16 हजार लोगों ने नोटा का बटन दबाया। 55 साल से मेरा परिवार कांग्रेस के लिए प्रतिबद्ध है, उस परिवार पर कार्रवाई करने से पहले वरिष्ठ नेताओं को सोचना चाहिए। ऐसे में नए लोग कैसे जुड़ेंगे?

 

 

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