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नीतीश कुमार के खास माने जाने वाले केसी त्यागी ने आखिर क्यों दिया इस्तीफा, क्या जदयू के अंदर चल रही उठापटक

पार्टी लाइन से अलग बयान देने में भी संकोच नहीं करते थे त्यागी

पटना। जनता दल यूनाईटेड (जदयू) प्रवक्ता के सी त्यागी ने पद से इस्तीफा दे दिया है। अब राजीव रंजन प्रसाद को नया प्रवक्ता बनाया गया है। त्यागी, नीतीश कुमार के खास नेता माने जाते रहे हैं। उनके इस्तीफे से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि जदयू के अंदर कुछ न कुछ गड़बड़ चल रही है। हालांकि जदयू के महासचिव आफाक अहमद खान ने चिट्ठी जारी कर कहा है कि केसी त्यागी ने निजी कारणों से पद छोड़ा है।

उल्लेखनीय है कि केसी त्यागी पहली बार चौधरी चरण सिंह की पार्टी लोकदल से 1984 में गाजियाबाद-हापुड़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और कांग्रेस के केदारनाथ सिंह से हार गए। वह दूसरे स्थान पर रहे। उन्हें 22.5 फीसदी वोट मिले। दूसरी बार 1989 में जनता दल के राष्ट्रीय महासचिव बने और गाजियाबाद से चुनाव लड़ा। उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता और सांसद बीपी मौर्य को हरा दिया। 1991 में वह इसी सीट से तीसरी बार जनता दल के टिकट से चुनाव लड़े और भाजपा के रमेश चंद तोमर से हार गए। वह करीब 24 हजार वोटों से हार गए। इसके बाद 1996 में वह समाजवादी पार्टी के टिकट से गाजियाबाद सीट से चौथी बार चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का समाना करना पड़ा। इस चुनाव में वह दूसरे स्थान पर रहे। 2004 में मेरठ सीट से जनतादल यूनाइटेड के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 2012 में बिहार से राज्यसभा सांसद बने।

नीतीश के साथ हमेशा खड़े रहे

केसी त्यागी का नाम जदयू के उन नेताओं में शामिल है जो कैसी भी विपरित परिस्थितियों में सीएम नीतीश कुमार के हर स्टैंड के साथ कायम रहे। उन्होंने कभी भी नीतीश के फैसले पर सवाल नहीं उठाए। सवाल ये भी उठ रहे हैं कि केसी त्यागी ने अचानक इस्तीफा क्यों दे दिया? ये अफवाह भी जोरों पर है कि केसी त्यागी बिहार के मंत्री अशोक चौधरी के भूमिहारों पर दिए बयान से नाराज थे। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि वह कई मुद्दों पर अपनी अलग लाइन ले रहे थे, जिससे पार्टी को मुंह छुपाना पड़ा था। इसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एससी-एसटी आरक्षण का मुद्दा, फिर इजरायल-फिलिस्तीन का मुद्दा शामिल है। कहा तो यह भी जा रहा है कि उन्होंने मीडिया में जाने से पहले महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी नेतृत्व से परामर्श करना बंद कर दिया था। इससे सहयोगी दलों के साथ टकराव की स्थिति पैदा हो रही थी। खैर, इससे यह स्पष्ट है कि जदयू में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा और पार्टी में कई धड़े अब खड़े हो गए हैं।

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