नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने गुरुवार को संसद में वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया। सरकार को इंडिया गठबंधन की पार्टियों और अपने सहयोगी दलों के रुख को देखते हुए वक्फ संशोधन विधेयक को संसदीय समिति को भेजना पड़ा। विपक्ष ने विधेयक को 'विभाजनकारी', 'मुस्लिम विरोधी' और 'असंवैधानिक' करार दिया। समझा जाता है कि चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के रुख को देखते हुए मोदी सरकार को झुकना पड़ा। हालांकि बिहार की जेडीयू ने इस बिल पर सरकार का समर्थन किया था।
वक्फ बिल को जेडीयू की हरी झंडी
जनता दल यूनाइटेड के नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने संसद में वक्फ बोर्ड विधेयक का समर्थन किया है। ललन सिंह ने विपक्ष को घेरते हुए कहा कि यह बिल मुसलमान विरोधी नहीं है। ललन सिंह ने आगे कहा कि कोई भी संस्था जब निरंकुश होगी तो सरकार उस पर अंकुश लगाने के लिए, पारदर्शिता के लिए कानून बनाएगी। यह उसका अधिकार है। पारदर्शिता होनी चाहिए और ये बिल पारदर्शिता के लिए है। उन्होंने कहा कि यह अल्पसंख्यकों की बात करते हैं, सिखों का कत्लेआम किसने किया था।
कांग्रेस की तरफ से वेणुगोपाल ने जताई आपत्ति
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने वक्फ बोर्ड पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ये संविधान से मिले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। यह बिल फंडामेंटल राइट्स पर हमला है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अयोध्या के मंदिर में कोई नॉन हिंदू है, क्या किसी मंदिर की कमेटी में किसी गैर हिंदू को रखा गया है। वेणुगोपाल ने कहा कि वक्फ भी एक धार्मिक संस्था है। यह समाज को बांटने की कोशिश है।
अखिलेश यादव ने सरकार की साजिश बताया
समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर लोकसभा में कहा कि ये बिल जो पेश किया जा रहा है वो बहुत सोची समझी राजनीति के लिए तैयार हो रहा है। अखिलेश ने कहा किअध्यक्ष महोदय, मैंने लॉबी में सुना है कि आपके कुछ अधिकार भी छीने जा रहे हैं और हमें आपके लिए लड़ना होगा। मैं इस बिल का विरोध करता हूं। अखिलेश यादव के दावों का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अखिलेश जी, क्या इस तरह की गोलमोल बात आप नहीं कर सकते। आप स्पीकर के अधिकार के संरक्षक नहीं हो।
सपा सांसद ने विधेयक को बताया धर्म विरोधी
रामपुर से सांसद मोहिबुल्ला ने कहा कि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में भी लिखा गया है कि केवल सिख ही सदस्य होगा। फिर मुसलमानों के साथ ये अन्याय क्यों। हम बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हैं जिसका खामियाजा हम सदियों तक भुगतते रहेंगे। सपा सांसद ने आगे कहा कि सरकारी अमले को ये हक दिया जा रहा है, सर्वे कमीशन के अधिकार खत्म किए जा रहे हैं। ये मेरे मजहब के मुताबिक कोई चीज है तो उसे आप तय करेंगे या मैं तय करूंगा। यह हमारे मजहब में दखलअंदाजी है। ऐसा हुआ तो कोई भी अल्पसंख्यक खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करेगा। कहीं ऐसा न हो कि जनता सड़कों पर आ जाए।
डीएमके ने कहा-एक धार्मिक ग्रुप को कर रहे हैं टार्गेट
डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने कहा कि ये संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है। किसी मंदिर की कमेटी में जब कोई गैर हिंदू सदस्य नहीं है तो फिर वक्फ में क्यों। ये बिल विशेष तौर पर एक धार्मिक ग्रुप को टार्गेट करता है जो समानता के कानून का उल्लंघन करता है।
ओवैसी ने कहा- संविधान की मूल भावना पर हमला
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने नियम 72 (2) के तहत बिल पेश किए जाने पर विरोध जताया। उन्होंने कहा कि यह संविधान की मूल भावना पर हमला है। ओ यह विधेयक हिंदू-मुसलमान में भेदभाव करता है। वक्फ प्रॉपर्टी पब्लिक प्रॉपर्टी नहीं है। यह सरकार दरगाह और अन्य संपत्तियां लेना चाहती है। सरकार कह रही है कि हम महिलाओं को दे रहे हैं, मुझे यकीन है कि आप बिल्किस बानो और जकिया जफरी को मेंबर बनाएंगे। आप देश को बांटने का काम कर रहे हैं। आप मुसलमानों के दुश्मन हैं।
मंत्री रिजिजू ने कहा-कई बार हो चुके हैं संशोधन
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में ‘वक्फ संशोधन विधेयक, 2024’ को पेश किया और विभिन्न दलों की मांग के अनुसार विधेयक को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने का प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन पहली बार सदन में पेश नहीं किया गया है। आजादी के बाद सबसे पहले 1954 में यह विधेयक लाया गया। इसके बाद कई संशोधन किए गए। रिजिजू ने कहा कि व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श के बाद यह संशोधन विधेयक लाया गया है जिससे मुस्लिम महिलाओं और बच्चों का कल्याण होगा।
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