नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की टिप्पणियों से शुक्रवार को लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ। महुआ ने जज लोया की मौत का जिक्र कर दिया। इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति ली। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने महुआ के बयान का कड़ा विरोध करते हुए कार्रवाई की चेतावनी भी दी।
महुआ ने सदन में संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा में भाग लेते हुए केंद्र सरकार पर संविधान को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पिछले दस साल में राजनीतिक ओहदेदारों ने लोकतंत्र को क्रमिक तरीके से नुकसान पहुंचाया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने 1976 के दशक में कांग्रेस के शासनकाल में जस्टिस एचआर खन्ना से जुड़े घटनाक्रम का उल्लेख किया था। महुआ ने कहा कि मैं सभी को याद दिलाना चाहती हूं कि न्यायमूर्ति खन्ना 1976 के बाद भी 32 साल तक रहे जिसमें अधिकतर समय कांग्रेस की सरकार थी और उन्होंने अपनी आत्मकथा भी लिखी, लेकिन न्यायमूर्ति लोया तो अपने समय से बहुत पहले इस दुनिया से विदा हो गए।
तृणमूल कांग्रेस की सांसद के भाषण के बाद सत्तापक्ष के सदस्यों ने इस मुद्दे को उठाते हुए आपत्ति जताई। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने जब यह मुद्दा उठाने का प्रयास किया तो पीठासीन सभापति कुमारी सैलजा ने उन्हें इजाजत नहीं दी। बाद में जब ओम बिरला आए तो उनके इजाजत देने के बाद निशिकांत दुबे ने अपनी बात रखी। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, कि सदस्य ने न्यायमूर्ति लोया के बारे में जो कहा वह बहुत गंभीर विषय है। न्यायपालिका में सारा मामला खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि सदस्य ने जिस तरह का बयान दिया है, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। किरेन रीजिजू ने कहा कि अध्यक्ष ने मामले को संज्ञान में लिया है। मैं सदन को सूचित करना चाहता हूं कि इस पर कार्रवाई होगी। इस तरह की टिप्पणी पर आप बच नहीं सकते. यह गलत परंपरा है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि इस पर हम रिकॉर्ड मंगाकर देख लेंगे। रिजिजू के बयान पर तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्य हंगामा करने लगे। इसके बाद कार्रवाई स्थगित कर दी गई थी।
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