नई दिल्ली। राज्यसभा में सोमवार को संविधान पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस परिवार और वंशवाद की मदद करने के लिए बेशर्मी से संविधान में संशोधन करती रही। ये संशोधन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों की रक्षा के लिए थे।
वित्त मंत्री ने राज्यसभा में संविधान की 75 साल की यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए नेहरू सरकार पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 1950 में सुप्रीम कोर्ट ने 'क्रॉस रोड्स' और आरएसएस की संगठनात्मक पत्रिका 'ऑर्गनाइजर' के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसके बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संविधान में पहला संशोधन किया। निर्मला सीतारमण ने कहा कि संविधान लागू होने के एक साल के भीतर, नेहरू की अंतरिम सरकार ने पहला संशोधन लाकर नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया। उनका दावा है कि यह कदम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने और स्वतंत्र पत्रकारिता पर नियंत्रण के लिए उठाया गया था।
मजहरू सुल्तानपुरी का किया जिक्र
निर्मला सीतारमण ने कहा कि मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी दोनों को 1949 में जेल में डाल दिया गया था। 1949 में मिल मजदूरों के लिए आयोजित एक बैठक के दौरान मजरूह सुल्तानपुरी ने एक कविता पढ़ी जो जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ लिखी गई थी। उन्होंने इसके लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया और उन्हें जेल में डाल दिया गया। किस्सा कुर्सी का नामक फिल्म पर भी सिर्फ इसलिए प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे पर सवाल उठाया गया था।
जयराम रमेश पर भड़क गईं सीतारमण
संविधान दिवस पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री जीएसटी का जिक्र कर रही थीं इसी दौरान कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उन्हें झूठ बोलने वाला कहा। इस आरोप पर निर्मला भड़क गईं और सभापति से आग्रह करने लगीं कि रमेश इसके लिए लिखित माफी मांगे। निर्मला ने कहा कि रमेश मेरे ऊपर झूठ बोलने का आरोप लगा रहे हैं। जो मैंने कभी नहीं बोला है। निर्मला ने कहा कि सभापति जी मैं आप पर भरोसा करती हूं, आप फैसला करें।
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