नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान एकलव्य का उदाहरण दिया। राहुल ने कहा-जैसे द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा काटा, वैसे ही आप हिंदुस्तान के युवाओं का अंगूठा काट रहे हैं। जैसे पहले हिंदुस्तान चलाया जाता था, वैसे ही आज भी चलाने की कोशिश हो रही है।
राहुल गांधी ने कहा कि हमारा संविधान एक जीवन दर्शन है। हम संविधान को देखते हैं, तो संविधान में महात्मा गांधी, डॉ. बीआर आंबेडकर, पंडित जवाहर लाल नेहरू के विचार दिखते हैं, लेकिन ये विचार कहां से आए? ये विचार भगवान शिव, गुरु नानक, भगवान बासवन्ना, कबीर आदि से आए हैं। हमारा संविधान हमारी प्राचीन विरासत के बिना नहीं बन सकता था। वीर सावरकर ने लिखा है कि हमारे संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है। लड़ाई मनु स्मृति और संविधान के बीच की है। अब सवाल ये है कि आप सावरकर की बात को मानते हैं या फिर संविधान को, क्योंकि जब आप संविधान की तारीफ करते हैं, तो आप एक तरह से सावरकर का विरोध करते हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि जैसे पहले हिंदुस्तान चलाया जाता था, वैसे ही आज भी चलाने की कोशिश हो रही है। गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य को इसलिए धनुष चलाना सिखाने से मना कर दिया था कि वह सवर्ण जाति से नहीं था। एकलव्य ने फिर भी धनुष चलाने की प्रैक्टिस की और सीख गया। जब द्रोणाचार्य को पता चला, तो उसका अंगूठा ले लिया। आज भी द्रोणाचार्य की आप हिंदुस्तान के युवाओं का अंगूठा काट रहे हैं।
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