जब से जीतू पटवारी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला है, पार्टी का बंटाधार हो गया है। विधानसभा चुनाव में पटवारी के रवैये से नाराज वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला लोकसभा चुनाव तक चला। उनके इसी रवैये के कारण कांग्रेस न केवल प्रदेश में हारी, बल्कि इंदौर की 9 लोकसभा सीटें भी गंवा बैठी, जिसमें खुद पटवारी की सीट भी शामिल है।
विडंबना यह कि अब जो गिने-चुने नेता अपना समय, अपना पैसा और अपना पसीना बहाकर कांग्रेस को खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, पटवारी अब उन्हें भी निपटाने में लग गए हैं। हाल ही में शहर में 11 लाख पौधे लगाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए अभियान चला। इसका निमंत्रण देने मंत्री कैलाश विजयवर्गीय कांग्रेस कार्यालय गए थे, जहां शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्ढा और जिला अध्यक्ष सदाशिव यादव ने उनका स्वागत कर दिया। कोई भी अतिथि आपके घर या दफ्तर आए तो भले ही वह दुश्मन हो भारतीय संस्कृति में उसके स्वागत की परंपरा है। ऐसे में दोनों नेताओं ने क्या गलत कर दिया? इसके बाद दोनों को प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सात दिन के लिए निलंबित कर दिया। हालांकि शनिवार को निलंबन अवधि समाप्त हो गई, लेकिन नोटिस अभी चर्चा में आया।
कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि विजयवर्गीय के स्वागत को लेकर शहर अध्यक्ष ने पटवारी से टेलीफोन पर पूछा था। तब पटवारी ने ही स्वागत के निर्देश दिए थे। बाद में मामला बिगड़ गया और कांग्रेस के कई नेताओं ने इस पर सवाल उठा दिए। भोपाल में हुई एक बैठक में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने यह मुद्दा उठाया था। बैठक में अन्य पदाधिकारी भी बोले थे कि जिस मंत्री ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय बम की नाम वापसी कर लोकतंत्र की हत्या की। उसका गांधी भवन में स्वागत नहीं होना चाहिए था। बैठक के बाद गुपचुप तरीके से प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने 20 जुलाई को जिला और नगर अध्यक्ष को सात दिन के लिए निलंबित कर जवाब मांगा था।
चूंकि मामला बिगड़ गया था और स्थानीय नेताओं के मुंह खोलने के डर से जीतू पटवारी ने निलंबन प्रकरण को दबाए रखा। जब लेटर सामने आ गया और मीडिया ने उनसे इस बारे में सवाल किए तो पटवारी ने कुछ भी कहने से मना कर दिया। यहां बड़ा सवाल यह है कि अपने गृह क्षेत्र इंदौर के इस मामले से पटवारी भाग क्यों रहे हैं? अगर दोनों अध्यक्षों ने विजयवर्गीय का स्वागत कर गलती की थी, तो उसी समय पटवारी को मीडिया के सामने आकर इसका विरोध करना था। एक छोटे से छोटे नोटिस को तुरंत मीडिया तक पहुंचाने वाली कांग्रेस आखिर इस नोटिस को क्यों दबा गई? इस पूरे घटनाक्रम को सस्पेंस बनाए रखना और अभी भी कुछ नहीं बोलना, आखिर क्या इशारा कर रहा है?
कहा तो यह भी जा रहा है कि सभी वरिष्ठ नेताओं के समर्थकों को निपटाने में लगे पटवारी इसी बहाने दिग्विजय सिंह समर्थक सुरजीत चड्ढा का शिकार कर रहे हैं। और इसके लिए अपने ही समर्थक सदाशिव यादव को भी दांव पर लगा दिया है।
प्रदेश अध्यक्ष जी, अब कांग्रेस में बचा ही क्या है? जो बचा है उसे बचा लीजिए, अपने लिए ना सही, उस संगठन के लिए जिसने आपको इतना मान-सम्मान दिया। अगर आपकी ऐसी ही हरकतें जारी रहीं तो कांग्रेस का नामलेवा कोई नहीं बचेगा।
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