नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उनपर जमकर निशाना साधा है। खड़गे ने कहा कि उनका आचरण पद की गरिमा के विपरीत है। वो खुद को आरएसएस का एकलव्य बताते हैं, विपक्ष को विरोधी मानते हैं। सदन में काफी अनुभवी सदस्य हैं, लेकिन सभापति उन्हें हेडमास्टर की तरह प्रवचन देते हैं।
खड़गे ने बुधवार को प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि धनखड़ अपमानजनक टिप्पणियाँ करते हैं। विपक्षी दलों को विरोधी की तरह देखते हैं और सदन में संघ की तारीफ करते हैं। उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। 1952 से अब तक किसी उप राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया, क्योंकि सभी निष्पक्ष रहे। सभी ने नियमों के अनुसार सदन चलाया। आज सदन में राजनीति हो रही है। पिछले तीन सालों में उनका आचरण संविधान के विपरीत रहा है। वे सरकार की तारीफ करने में लगे रहते हैं। वे संसद में विपक्षी पार्टियों की आवाज योजनाबद्ध तरीके से रोकते हैं। अगर सदन नहीं चलता है तो उसके जिम्मेदार सभापति ही हैं। खड़गे ने कहा कि सभापति के भेदभाव के कारण उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। वे विपक्ष को बोलने नहीं देते। उनकी निष्ठा संविधान की बजाय सत्ताधारी दल के लिए है। वे सरकार के प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं। उनके आचरण ने देश की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। इस प्रेस कान्फ्रेंस में इंडिया गठबंधन के सभी सहयोगी दलों के नेता भी मौजूद थे। शरद पवार की एनसीपी से फौजिया खान, आरजेडी से मनोज झा, डीएमके से तिरुचि शिवा, समाजवादी पार्टी से जावेद अली खान, टीएमसी से नदीमुल हक और सागरिका घोष, शिवसेना यूबीटी से संजय राउत, सीपीएम से जॉन ब्रिटास, सीपीआई से संदोष कुमार और केसीएम से जोस के मणि उपस्थित थे।
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