नई दिल्ली। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर हमला किया। संघ प्रमुख मोहन भागवत के आजादी वाले बयान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मोहन भागवत ने कहा कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली। आजादी तब मिली जब अयोध्या में राम मंदिर बना। राहुल ने कहा कि यह देश संविधान से ही चलेगा। जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे, तब उन्होंने संविधान को अपने सिर पर रखा था।
राहुल गांधी ने बेरोजगारी पर चर्चा करते हुए कहा कि देश बेरोजगारी की समस्या का समाधान नहीं कर पाया है और इस बारे में युवाओं कोई स्पष्ट जवाब देने में यूपीए और एनडीए दोनों की सरकारें विफल रही हैं। राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया को लेकर प्रयास किया, लेकिन यह विचार विफल रहा क्योंकि विनिर्माण दर घट गई। राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मेक इन इंडिया की पहल की। यह अच्छा विचार था, प्रधानमंत्री ने प्रयास किया, लेकिन यह प्रयास विफल रहा। राहुल गांधी ने मोबाइल फोन दिखाते हुए कहा कि यह मेड इन इंडिया नहीं, बल्कि असेंबल्ड इन इंडिया है।
फर्जी मतदाताओं का भी किया जिक्र
राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बीच की कुछ महीनों की अवधि में ही राज्य में हिमाचल प्रदेश की आबादी के बराबर मतदाताओं की संख्या बढ़ गई। लगभग 70 लाख नए वोटर अचानक आ गए। राहुल गांधी ने इसके लिए चुनाव आयोग से आंकड़ा उपलब्ध कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि आयोग को इस पर जवाब देना चाहिए।
चुनाव से पहले संविधान बदलने की बात
राहुल गांधी ने कहा कि मुझे याद है कि चुनाव से पहले आप सभी (भाजपा) 400 पार कह रहे थे और कह रहे थे कि हम इसे (संविधान) बदल देंगे। मुझे यह देखकर खुशी हुई कि प्रधानमंत्री अंदर आए और उन्हें संविधान के सामने सिर झुकाने पर मजबूर होना पड़ा। यह सभी कांग्रेसियों के लिए गर्व का क्षण था कि हमने प्रधानमंत्री और पूरे देश को समझाया कि कोई भी ताकत संविधान को छूने की हिम्मत नहीं करेगी। मैं जानता हूं कि संघ ने संविधान को कभी स्वीकार नहीं किया।
राष्ट्रपति के अभिभाषण में कुछ भी नया नहीं
राहुल गांधी ने सरकार पर करारा हमला करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में कुछ भी नया नहीं था। उसमें हर चीज वह थी, जो हम सब कई सुन चुके हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान जो कुछ भी कहा जा रहा था, उस पर ध्यान बनाए रखने के लिए मुझे संघर्ष करना पड़ा। ऐसा इसलिए, क्योंकि मैंने पिछली बार भी कुछ ऐसा ही सुना था। उससे पहले भी लगभग इसी तरह का अभिभाषण सुना था। यह सरकार के कार्यों की एक ही सूची थी।
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