इंदौर। पार्षद कमलेश कालरा के घर मारपीट के मामले में महापौर परिषद के सदस्य जीतू यादव ने प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को अपना इस्तीफा दे दिया है। मामला केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच जाने के बाद इंदौर के आकाओं ने जीतू यादव के सिर से हाथ हटा लिए थे, जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। सूत्र बताते हैं कि पीएमओ ने भी इस मामले पर संज्ञान लेते हुए मामले की जानकारी मंगाई थी।
जीतू यादव ने प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को भेजे अपने इस्तीफे में कहा है किमैं भाजपा का समर्पित और अनुशासित सिपाही हूं। मेरा, मेरे परिवार और अनुसूचित जाति के मेरे जाटव समाज का पार्टी से अटूट रिश्ता है। कुछ दिनों पहले इंदौर में पार्टी के एक साथी पार्षद के परिजनों के साथ हुई दुखद घटना में मेरा नाम घसीटकर पार्टी को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। मैने इस मामले में अपना पक्ष सभी तथ्यों के साथ माननीय शहर अध्यक्ष के समक्ष रखकर खुद आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की थी। जीतू ने लिखा है कि मैं ये नहीं चाहता कि मेरे कारण पार्टी को किसी असहज स्थिति का सामना करना पड़े। अतः इस पूरे प्रकरण में निर्दोष साबित होने तक मै पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और एमआईसी से त्याग पत्र देता हूं। मुझे विश्वास है पार्टी मेरे साथ अन्याय नहीं होने देगी।
सभी जिम्मेदारों की फंस रही थी गर्दन
इस मामले में पूरे देश में भाजपा की किरकिरी हो रही थी। जीतू यादव विधानसभा 2 के नेताओं के खासमखास हैं, इसकारण पुलिस भी चुप बैठी थी। यहां तक कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश महामंत्री हितानंद शर्मा तक मामला पहुंचने के बाद भी कोई एक्शन नहीं हुआ था। बाद में यह मामला राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह तक पहुंच गया। इसी बीच सीएम डॉ.मोहन यादव ने घटना की कड़ी निंदा कर दी और पुलिस को एक्शन के निर्देश दिए। तब तक बात काफी बिगड़ गई थी। इतना तय था कि अगर मामले को और दबाया जाता तो कई नेताओं की गर्दन फंस रही थी।
बात बिगड़ते देख आकाओं ने दिलाया इस्तीफा
जीतू यादव अभी तक अपने आकाओं के दम पर उछल रहे थे। पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन दे रहे थे और साथ में सत्ता और संगठन को चुनौती भी दे रहे थे। जब दिल्ली से निर्देश आने लगे तो सारे आकाओं ने हाथ खींच लिए। वैसे भी दो नंबर की परंपरा रही है कि पहले खुली छूट दो और जब मामला फंसने लगे तो हाथ खींच लो। जीतू के साथ भी यही हुआ। सूत्र बताते हैं कि आकाओं ने ही कहा कि अब कुछ नहीं हो सकता। इस्तीफा दे दो तो बाद में सब मामला संभाल लेंगे।
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