मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की बंपर जीत और भाजपा को 132 सीटें मिलने के बाद से सीएम पद को लेकर सियासत जारी है। शिवसेना किसी भी हाल में यह पद नहीं छोड़ना चाहती थी। पिछले तीन-चार दिन से इसको लेकर ड्रामा जारी था। शिवसेना के सांसद और अन्य नेता लगातार बिहार फार्मूला लागू करने की वकालत करते रहे। आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ की सीएम शिंदे त्यागी बन गए और यह कहने लगे कि पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का जो फैसला होगा उन्हें मंजूर है। वे भाजपा के सीएम बनने में बाधा नहीं बनेंगे।
शिंदे की बात के राजनीतिक जानकार कई अर्थ लगा रहे हैं। किसी को भरोसा नहीं हो रहा कि शिंदे इतनी आसानी से मान जाएंगे। सियासत के गलियारे में इसको लेकर कई तरह की चर्चाएं गर्म है। इसमें सबसे ज्यादा चर्चा एकनाथ शिंदे द्वारा अपने बेटे श्रीकांत शिंदे की लॉचिंग की है। एकनाथ शिंदे किसी भी हालत में अपना डिमोशन नहीं चाहते थे और वह भी देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में तो बिल्कुल ही डिप्टी सीएम बनने को राजी नहीं हैं। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने अपने बेटे श्रीकांत शिंदे के लिए डिप्टी सीएम पद की डिमांड रखी है। कहा जा रहा है कि भाजपा आलाकमान ने यह बात मान ली है। श्रीकांत फिलहाल कल्याण लोकसभा सीट से सांसद हैं।
क्या शिंदे भांप गए हैं हालात
उल्लेखनीय है कि जब 2022 में उद्धव ठाकरे की सरकार गिरी, तो भाजपा ने शिंदे को मुख्यमंत्री पद देकर बड़ी राजनीतिक चाल चली थी। इस बार चुनावी नतीजों ने राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं। भाजपा 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। ऐसे में सीएम पद छोड़ने का सवाल ही नहीं था। शिंदे शायद समझ गए कि भाजपा के दबाव के बीच उनका मुख्यमंत्री बने रहना मुश्किल होगा।
क्या फडणवीस को मिल पाएगी कुर्सी
एकनाथ शिंदे के बयान के बाद देवेंद्र फडणवीस के लिए रास्ता साफ होता दिख रहा है। हाल ही में फडणवीस ने संघ मुख्यालय में जाकर मुलाकात भी की थी। वहां से लौटकर आने के बाद उनके चेहरे का हावभाव बदला नजर आ रहा था। इससे स्पष्ट हो गया कि संघ का भाजपा नेतृत्व पर फडणवीस को लेकर दबाव है। इधर, यह भी कहा जा रहा है कि हो सकता है भाजपा आलाकमान के दिमाग में कोई और भी खिचड़ी पक रही हो। लंबे समय से देवेंद्र फडणवीस को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की बात चल रही है। हो सकता है कि उन्हें यह बड़ा पद देकर एक बार फिर त्याग करा लिया जाए। इससे कई बाधाएं एक साथ दूर हो जाएंगी। शिंदे को सीएम न बनने का मलाल भी नहीं रहेगा और महाराष्ट्र में भाजपा किसी नए नेता को इस कुर्सी पर बिठा देगी।
शिवसेना के लिए राह होगी मुश्किल
एकनाथ शिंदे के सीएम न बनने से शिंदे की शिवसेना की राह मुश्किल होगी। एक तो उद्धव ठाकरे उन्हें कहीं का नहीं छोड़ने वाले। इससे शिवसेना का जो कैडर अभी शिंदे के पास है उसमें सेंध लग सकती है। ऐसे में शिंदे के लिए अपनी शिवसेना को संभालना आसान नहीं होगा, क्योंकि उनके विधायक और समर्थक उन्हें सीएम बनाने पर तुले हुए हैं। अब सबकुछ भाजपा आलाकमान के गेम पर ही निर्भर है। कहा तो यह भी जा रहा है कि भाजपा आलाकमान के साथ शिंदे को दिल्ली में बड़े पद देने की बात भी हुई है। इन सब कयासों पर विराम तब लगेगा, जब भाजपा अपना पत्ता खोलेगी।
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