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तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बयानों के क्या हैं मायने, उग्र हिन्दुत्व के ट्रैक पर फिर से भाजपा!

HBTV NEWS के न्यूज हेड हरीश फतेहचंदानी का कॉलम-सच कहता हूं

भाजपा उग्र हिन्दुत्व के कारण ही सत्ता में आई थी। वह जमाना याद कीजिए जब लालकृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा निकाली थी। इसके बाद अयोध्या में जो कुछ हुआ, उसने भाजपा को दो सीटों से तीन अंकों के आंकड़े तक पहुंचाया। भाजपा जब सत्ता में आई तो अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने और उन्होंने एक अलग रास्ता बनाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सत्ता में आई। राम मंदिर, काशी विश्वनाथ की बात हुई, लेकिन एनडीए के अन्य दलों को साथ लेकर चलने की कोशिश भी जारी रही।

हाल ही में भाजपा के कुछ मुख्यमंत्रियों के ऐसे बयान सामने आए हैं, जिनसे लगता है कि पार्टी फिर से अपनी लाइन बदल रही है। ऐसे बयानों में सबसे आगे हैं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ। उन्होंने लोकसभा चुनाव में भी उपने उग्र हिन्दुवादी छवि को बरकरार रखा। यूपी में सीटें कम हुईं और माना यह गया कि योगी के भाषण और छवि ने ही सपा को आगे बढ़ने का मौका दिया। इसके बाद भी योगी नहीं माने और न ही उन्हें रोकने की कोई कोशिश हुई। अभी हाल ही में योगी आदित्यनाथ ने आगरा में बांग्लादेश के संदर्भ में एक बयान दिया था, जिस पर जमकर बवाल मचा था। योगी ने कहा था-बंटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो नेक रहोगे, सुरक्षित रहोगे।

इसके बाद मध्यप्रदेश के सीएम डॉ.मोहन यादव ने जन्माष्टमी पर एक बयान दिया। अशोक नगर जिले के चंदेरी में एक समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे डॉ. यादव ने कहा था कि जो यहां का खाता है और कहीं और का बजाता है, यह नहीं चलेगा। भारत के अंदर रहना होगा तो राम-कृष्ण की जय कहना होगा। इसके बाहर कुछ नहीं चले। हमारे देश के भीतर हम सब का सम्मान करना चाहते हैं, किसी का अपमान नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने कहा हर किसी को अपनी पूजा-पद्धति की स्वतंत्रता है, लेकिन देशभक्ति जरूरी है। इस बयान के भी अपने-अपने तरीके से राजनीतिक अर्थ लगाए गए।

वर्तमान में जो सबसे गरम मुद्दा चल रहा है वह है असम का। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने राज्य विधानसभा में मुस्लिम विधायकों को नमाज के लिए मिलने वाले दो घंटे के ब्रेक को खत्म कर दिया है। इस फैसले की जहां विपक्षी पार्टियां आलोचना कर रहीं, वहीं एनडीए में भी खटपट मच गई है। जदयू और एलजेपी ने इस फैसले का विरोध किया है, लेकिन इसके बाद भी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से कोई सफाई सामने नहीं आई है।

इन सब बयानों के बीच मंडी से भाजपा सांसद कंगना रनौत का भी एक बयान सामने आया था। किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने कहा था कि वहां रेप जैसी घटनाएं होती हैं। भाजपा आलाकमान ने तत्काल उन्हें चेताया। यहां तक कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने उन्हें तलब कर आइंदा ऐसे बयान न देने की चेतावनी दी, लेकिन योगी आदित्यनाथ, डॉ.मोहन यादव और हेमंत बिस्वा सरमा के बयानों पर ऐसी कोई पहल शीर्ष नेतृत्व द्वारा नहीं की गई।

ऐसे में क्या माना जाए…क्या भाजपा फिर से उग्र हिन्दुत्व के ट्रैक पर आना चाहती है या फिर मिलीजुली कुश्ती चलने देने की कोशिश कर रही है।

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