नई दिल्ली। लोकसभा में वन नेशन, वन इलेक्शन बिल पेश कर दिया गया। बिल के पक्ष में 269 सांसदों ने मतदान किया, जबकि 198 ने इसके खिलाफ वोट किया। इसे अब दोनों सदनों की संयुक्त समिति (जेपीसी) के पास विचार-विमर्श के लिए भेजा गया है। इस बिल को लेकर लोकसभा में दो बार वोटिंग हुई। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग और उसके बाद कागज की पर्चियों की गिनती के बाद, 269 सदस्यों के पक्ष में और 198 के विरोध में विधेयक पेश किए गए।
बिल पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब यह संविधान संशोधन विधेयक कैबिनेट के पास चर्चा में आया था तभी प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि इसे जेपीसी को देना चाहिए। इसपर सभी स्तर पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए। इस वजह से सदन का ज्यादा समय खर्च किए बगैर अगर मंत्री जी कहते हैं कि वो इसे जेपीसी को सौंपने को तैयार हैं, तो जेपीसी में सारी चर्चा होगी। जेपीसी की रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट इसे पारित करेगी तब भी फिर से इस पर सारी चर्चा होगी। फिर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा है कि नियम 74 के तहत वो इस विधेयक के लिए जेपीसी के गठन का प्रस्ताव करेंगे।
विपक्ष ने जमकर किया विरोध
विपक्ष ने इसका जमकर विरोध किया। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि यह संविधान और लोगों को वोट देने के अधिकार पर हमला है। विधेयक के विरोध में कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी और समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने भाषण दिया। वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी बिल का विरोध किया । उन्होंने कहा है कि यह फैसला सच्चे लोकतंत्र के लिए घातक साबित होगा। लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने कहा कि ये दोनों विधेयक संविधान और नागरिकों के वोट देने के अधिकार पर हमला है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे पर हमला है और यह अल्टा वायरस है।
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