दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन का असर अब तेजी से दिखने लगा है। यूरोप की जलवायु परिवर्तन एजेंसी कॉपरनिकस ने एक डराने वाला अनुमान जारी किया है। एजेंसी ने कहा है कि 2024 दुनिया के इतिहास में सबसे गर्म साल हो सकता है।
कॉपरनिकस ने कहा कि यह पहली बार होगा, जब औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहेगा। एजेंसी ने यह भी बताया कि 2023 का नवंबर इतिहास का सबसे गर्म नवंबर रहा है। इस बार नवंबर में सतह पर हवा का औसत तापमान 14.10 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो 1991-2020 के औसत से 0.73 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था।
कॉपरनिकस के मुताबिक, पिछले 17 महीनों में से 16 महीनों में औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक काल के स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। नवंबर 2023 के दौरान औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक काल के स्तर से 1.62 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, 1901 के बाद से यह भारत का दूसरा सबसे गर्म नवंबर रहा। इस दौरान औसत अधिकतम तापमान 29.37 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो सामान्य से 0.62 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
2024 के जनवरी से नवंबर के बीच औसत वैश्विक तापमान 1991-2020 के औसत तापमान से लगभग 0.72 डिग्री सेल्सियस अधिक रहने का अनुमान है। 2023 के मुकाबले 2024 में इसी समयावधि का तापमान 0.14 डिग्री सेल्सियस ज्यादा हो सकता है।
कॉपरनिकस के वैज्ञानिकों ने कहा है कि 2023 का वार्षिक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक काल के स्तर से 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। ऐसे में यह लगभग तय है कि 2024 का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस का आंकड़ा पार कर जाएगा।
जलवायु परिवर्तन के ये आंकड़े और भविष्यवाणियां संकेत देते हैं कि पृथ्वी को बचाने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
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