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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को झटका, एक उम्मीदवार ने शिंदे के समर्थन में चुनाव लड़ने से किया इनकार

तनवानी ने कहा-नहीं चाहते हिंदू वोटों के बंटवारे से किसी दूसरे को हो फायदा

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे की शिवसेना को सोमवार को बड़ा झटका लगा। संभाजीनगर मध्य से उद्धव की पार्टी के उम्मीदवार किशनचंद तनवानी ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। तनवानी ने नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख से एक दिन पहले सीएम एकनाथ शिंदे के समर्थन में यह फैसला लिया है।

सोमवार को किशनचंद तनवानी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नाम वापस लेने के की घोषणा की। तनवानी ने ऐसे समय यह फैसला लिया है, जब 29 अक्टूबर को नामांकन की समय सीमा खत्म हो रही है। उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना दूसरा उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। छत्रपति संभाजीनगर शिवसेना का गढ़ है और यहां शिंदे और ठाकरे में ही मुकाबला होना है।  शिंदे गुट की शिवसेना नेविधायक प्रदीप जयसवाल को फिर से मैदान में उतारा है, उद्धव ठाकरे ने तनवानी को टिकट दिया था। तनवानी ने इससे पहले अपनी नामांकन रैली भी यह कहते हुए रद्द कर दी थी कि लोगों को परेशानी होगी।

2014 के परिणाम का दिया हवाला

उल्लेखनीय है कि प्रदीप जयसवाल और किशनचंद तनवानी दोनों कट्टर शिवसैनिक होने के साथ ही अच्छे दोस्त भी हैं। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में दोनों एक दूसरे के खिलाफ लड़े थे। हिन्दू वोटों का बंटवारा होने के कारण एआईएमआईएम के इम्तियाज जलील ने इस सीट पर कब्जा कर लिया था। तनवानी का कहना है कि वे 2014 वाली स्थिति फिर से नहीं बनने देना चाहते। इस बार एआईएमआईएम के नासिर सिद्दीकी मैदान इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। तनवानी ने कहा है कि प्रदीप जयसवाल ने साल 2019 में उनसे वादा किया था कि वह अगले चुनाव में समर्थन करेंगे, लेकिन जयसवाल ने अपनी बात नहीं रखी। इसलिए हम अपना वादा वापस ले रहे हैं। किशन तनवानी का कहना है कि दो शिवसेना की लड़ाई में हिंदू वोट विभाजित होगा, जिसका फायदा एमआईएम को होगा।

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