मुंबई को मिलेगा भारत का पहला कृत्रिम द्वीप एयरपोर्ट, वाढवण बंदरगाह के पास बनेगा हाई-टेक टर्मिनल
भारत में हवाई यात्रा को लेकर लगातार नई पहल हो रही हैं।अब देश के पहले कृत्रिम द्वीप एयरपोर्ट की भी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
- Published On :
22-Feb-2025
(Updated On : 22-Feb-2025 11:02 am )
मुंबई को मिलेगा भारत का पहला कृत्रिम द्वीप एयरपोर्ट, वाढवण बंदरगाह के पास बनेगा हाई-टेक टर्मिनल
भारत में हवाई यात्रा को लेकर लगातार नई पहल हो रही हैं। मुंबई को जहां अप्रैल 2025 में नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का तोहफा मिलेगा, वहीं अब देश के पहले कृत्रिम द्वीप एयरपोर्ट की भी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। यह एयरपोर्ट मुंबई से 120 किलोमीटर दूर वाढवण बंदरगाह के पास स्थित होगा और देश का सबसे अत्याधुनिक हवाई अड्डा बनने की ओर अग्रसर है।
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वाढवण बंदरगाह के पास बनेगा भारत का पहला कृत्रिम द्वीप एयरपोर्ट
वाढवण बंदरगाह 76,000 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा है और पूरा होने के बाद यह दुनिया के शीर्ष 10 बंदरगाहों में शामिल होगा। इस बंदरगाह को एक अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है, और इसी के साथ कृत्रिम द्वीप पर एयरपोर्ट बनाने की योजना को हरी झंडी दी गई है।
यह विचार पहली बार 2013 में नीदरलैंड एयरपोर्ट कंसल्टेंट्स ने दिया था, लेकिन अब इसे महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने की संभावना है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी इस परियोजना का समर्थन कर चुके हैं।
क्या होता है कृत्रिम द्वीप एयरपोर्ट?
कृत्रिम द्वीप वे भूमि संरचनाएं होती हैं जो समुद्र, नदियों या वेटलैंड्स में बनाई जाती हैं। इसके लिए लैंड रिक्लेमेशन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें समुद्र या नदी के पानी में मिट्टी, रेत और कंक्रीट डालकर जमीन तैयार की जाती है।
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ऐसे द्वीप पर हवाई अड्डा बनाने से शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों से एयर ट्रैफिक कम होता है।
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यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देता है।
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पर्यावरण और समुद्री पारिस्थितिकी को ध्यान में रखते हुए इनका निर्माण किया जाता है।
दुनिया के अन्य कृत्रिम द्वीप एयरपोर्ट
भारत पहली बार इस तकनीक को अपना रहा है, लेकिन जापान, चीन और हांगकांग पहले ही इस पर काम कर चुके हैं।
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जापान ने 1994 में ओसाका का कानसाई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट कृत्रिम द्वीप पर बनाया था।
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हांगकांग का चेक लाप कोक एयरपोर्ट इसी तकनीक पर बना है।
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चीन डालियान जिनझू बे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बना रहा है, जो दुनिया का सबसे बड़ा कृत्रिम द्वीप एयरपोर्ट होगा।
मुंबई को तीसरे एयरपोर्ट की जरूरत क्यों?
मुंबई पहले से ही दो बड़े हवाई अड्डों – छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट और नवी मुंबई एयरपोर्ट का केंद्र है। लेकिन तेजी से बढ़ती हवाई यात्राओं और व्यापार को देखते हुए तीसरे एयरपोर्ट की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
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मुंबई में हर साल 5 करोड़ से अधिक यात्री यात्रा करते हैं।
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आने वाले वर्षों में यह आंकड़ा 10 करोड़ तक पहुंच सकता है।
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वाढवण बंदरगाह के पास एयरपोर्ट होने से कार्गो ट्रांसपोर्टेशन और व्यापार में तेजी आएगी।
भविष्य में क्या होगा?
वाढवण बंदरगाह और कृत्रिम द्वीप एयरपोर्ट से मुंबई वैश्विक व्यापार केंद्र के रूप में उभर सकता है। 2030 तक बंदरगाह का पहला चरण पूरा होने के बाद, यह एयरपोर्ट भारत की लॉजिस्टिक्स और एविएशन इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव ला सकता है।
भारत का यह ऐतिहासिक कदम देश को वैश्विक विमानन मानचित्र पर एक नई ऊंचाई पर ले जाने वाला साबित हो सकता है।
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