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लोनार झील: यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने की तैयारी

महाराष्ट्र की लोनार झील अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और वैज्ञानिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। अब इस झील को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने की योजना है

लोनार झील: यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने की तैयारी

महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में स्थित लोनार झील अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और वैज्ञानिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। अब इस झील को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने की योजना बनाई जा रही है। राज्य सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के माध्यम से इस प्रस्ताव को पेश करने की तैयारी कर रही है।

पर्यटन और अनुसंधान केंद्र के रूप में विकास की योजना

अधिकारियों के अनुसार, लोनार झील को वैश्विक पर्यटन और अनुसंधान केंद्र के रूप में विकसित करने और इसके संरक्षण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया जा रहा है। अमरावती संभागीय आयुक्त निधि पांडे ने इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ हाल ही में बैठक की। बुलढाणा जिलाधिकारी किरण पाटिल ने कहा कि लोनार झील कई श्रेणियों में खास है और इसे जल्द ही प्रस्तावित किया जाएगा।

भौगोलिक और वैज्ञानिक चमत्कार

लोनार झील का निर्माण लगभग 52,000 साल पहले एक उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने से हुआ था। यह झील दुनिया में अपनी तरह की अनोखी झील है, क्योंकि इसका पानी खारा और क्षारीय दोनों है। झील के आसपास कई ऐतिहासिक मंदिर भी स्थित हैं, जिनमें कुछ 1,200 साल पुराने हैं।

विश्व धरोहर सूची में शामिल होने पर महत्व

यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने पर झील के 113 हेक्टेयर क्षेत्र को "उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य" के रूप में मान्यता मिलेगी। यदि यह प्रस्ताव स्वीकार हो जाता है, तो लोनार झील भारत की 41वीं यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बन जाएगी। यह भारत के अन्य प्रतिष्ठित स्थलों जैसे अजंता-एलोरा गुफाओं और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के साथ सूचीबद्ध होगी।

संरक्षण और पर्यटक संख्या

अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में झील पर 4,26,000 घरेलू पर्यटक, 72 अंतरराष्ट्रीय यात्री, और पांच शोधकर्ता आए थे। झील के आसपास निर्माण गतिविधियों और झील में नहाने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

रामसर साइट और वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा

साल 2020 में लोनार झील को रामसर संरक्षण संधि के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व की दलदली भूमि के रूप में मान्यता मिली। इसके अतिरिक्त, झील के 365 हेक्टेयर क्षेत्र को जून 2000 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था।

यह कदम न केवल झील के संरक्षण को बढ़ावा देगा, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाने में मदद करेगा।

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