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"मुझे हल्के में न लें, मैंने सरकार बदल दी थी" – एकनाथ शिंदे का विपक्ष और गठबंधन को कड़ा संदेश

महाराष्ट्र की महायुति सरकार में मतभेद की खबरों के बीच उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विपक्ष के आरोपों पर पलटवार किया है।

"मुझे हल्के में न लें, मैंने सरकार बदल दी थी" – एकनाथ शिंदे का विपक्ष और गठबंधन को कड़ा संदेश

महाराष्ट्र की महायुति सरकार में मतभेद की खबरों के बीच उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विपक्ष के आरोपों पर पलटवार किया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जो लोग उन्हें हल्के में लेते हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि उन्होंने 2022 में पूरी सरकार ही बदल दी थी। शिंदे का यह बयान ऐसे समय में आया है जब यह दावा किया जा रहा है कि वे महायुति सरकार से नाराज चल रहे हैं, हालांकि वे बार-बार इस तरह की अटकलों को खारिज कर चुके हैं।

"2022 में मैंने बाजी पलट दी थी"

एकनाथ शिंदे ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा,
"मुझे हल्के में न लें। जिन्होंने मुझे 2022 में हल्के में लिया था, मैंने उनकी पूरी सरकार बदल दी थी और डबल इंजन की सरकार लेकर आया था। मैं सिर्फ एक साधारण कार्यकर्ता नहीं, बल्कि बाला साहेब ठाकरे का कार्यकर्ता हूं। जब मैंने कहा था कि देवेंद्र फडणवीस को 200 से ज्यादा सीटें मिलेंगी, तो हमें 232 सीटें मिलीं। इसलिए मेरी बात को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।"

महायुति सरकार में मतभेद की अटकलें

भले ही शिंदे सार्वजनिक रूप से मतभेदों को नकारते रहे हों, लेकिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री शिंदे के बीच कई मुद्दों पर तनाव की खबरें सामने आ रही हैं। इनमें संरक्षक मंत्री की नियुक्ति, अलग-अलग समीक्षा बैठकें, और नीतिगत फैसलों में मतभेद जैसे मुद्दे शामिल हैं।

पिछले नवंबर में विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया, जबकि शिंदे को उपमुख्यमंत्री पद से संतोष करना पड़ा। शिंदे समर्थकों का मानना है कि उनके ढाई साल के कार्यकाल (जून 2022 - नवंबर 2024) में लिए गए फैसलों और विकास कार्यों की वजह से ही भाजपा-शिवसेना-राकांपा गठबंधन को विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली।

क्या महाराष्ट्र में फिर सियासी हलचल बढ़ेगी?

भाजपा नेतृत्व और शिंदे गुट के बीच जारी खींचतान के चलते महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मची हुई है। हालांकि, शिंदे ने अपने बयान से यह साफ कर दिया है कि वे किसी भी स्थिति में पीछे हटने वाले नहीं हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि महायुति सरकार इन मतभेदों को सुलझाने में कामयाब होती है या महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ आने वाला है।

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