महाराष्ट्र में विवाद: मंत्री नितेश राणे के बयान पर सियासी घमासान!
महाराष्ट्र के मंत्री और भाजपा नेता नितेश राणे ने अपने विवादित बयान से राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
- Published On :
14-Feb-2025
(Updated On : 14-Feb-2025 11:26 am )
महाराष्ट्र में विवाद: मंत्री नितेश राणे के बयान पर सियासी घमासान!
महाराष्ट्र के मंत्री और भाजपा नेता नितेश राणे ने अपने विवादित बयान से राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। सिंधुदुर्ग जिले के ओरोस में भाजपा कार्यकर्ताओं की सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि विपक्षी दलों के सरपंचों वाले गांवों को विकास निधि नहीं मिलेगी।

क्या कहा मंत्री नितेश राणे ने?
मत्स्य पालन और बंदरगाह विकास मंत्री नितेश राणे ने कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन से जुड़े कार्यकर्ता अपने क्षेत्र का विकास चाहते हैं, तो उन्हें भाजपा में शामिल होना होगा। उन्होंने आगे कहा:
सिर्फ सत्तारूढ़ महायुति कार्यकर्ताओं को ही निधि मिलेगी।
किसी गांव में एमवीए का सरपंच या पदाधिकारी है, तो उसे एक भी रुपया नहीं मिलेगा।
हमारा लक्ष्य 100% भाजपा उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करना है।
विपक्षी दलों का करारा पलटवार
मंत्री के इस बयान पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है:
एनसीपी (एसपी) विधायक रोहित पवार ने सवाल उठाते हुए कहा, या तो मंत्री ने अपने पद की शपथ ध्यान से नहीं पढ़ी, या वे भूल गए हैं। संविधान को नुकसान पहुंचाने वाले मंत्री को मुख्यमंत्री चेतावनी दें।
शिवसेना (यूबीटी) की नेता सुषमा अंधारे ने भी वीडियो शेयर करते हुए कहा, "क्या लोकतंत्र जिंदा है या नहीं, इस पर अब प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी को भाषण देना चाहिए।
भाजपा का मिशन 2024 – हर गांव में मजबूत संगठन
नितेश राणे ने भाजपा कार्यकर्ताओं को विपक्षी दलों की किसी भी तरह की मदद न करने की हिदायत दी और कहा कि भाजपा को आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में नंबर 1 पार्टी बनाना है। उन्होंने दावा किया कि अब तक 1 करोड़ से अधिक सदस्य भाजपा से जुड़ चुके हैं।
क्या यह लोकतंत्र के खिलाफ है?
मंत्री के इस बयान ने एक बड़े राजनीतिक और संवैधानिक सवाल को जन्म दे दिया है – क्या सत्ताधारी दल विकास निधि को राजनीतिक स्वार्थ के लिए रोक सकता है? विपक्ष इसे लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ बता रहा है, तो भाजपा इसे पार्टी विस्तार और अनुशासन का हिस्सा मान रही है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि मुख्यमंत्री शिंदे और भाजपा आलाकमान इस विवाद पर क्या रुख अपनाते हैं?
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