Published On :
01-Aug-2024
(Updated On : 01-Aug-2024 10:10 am )
इंदौर। लंबा चौड़ा सरकारी अमला, हर काम के लिए अलग-अलग विभाग। यह सब तब तक सोते रहते हैं, जब तक कहीं कोई घटना नहीं हो जाए। इंदौर में तो पिछले कई महीनों से यही सिलसिला चला आ रहा है। किसी एक बिल्डिंग में आग लगी, तो पूरा सरकारी अमला जाग जाता है। तुरंत बिल्डिंगों की जांच होने लगती है। छापे मारे जाते हैं, उन्हें सील किया जाता है। कहीं पटाखें से आग लग गई तो भी यही सिलसिला चलता है। ताजा मामला दिल्ली का कोचिंग हादसा है। इस हादसे के सामने आते ही फिर इंदौर का पूरा सरकारी अमला एक्शन में आ गया।
पिछले दो दिनों से कोचिंग संस्थानों पर लगातार कार्रवाई हो रही है। नगर निगम द्वारा जारी विज्ञप्ति में बुधवार तक 26 कोचिंग संस्थान को सील किए जाने की बात कही गई है। जिला प्रशासन और नगर निगम का पूरा अमला जी-जान से बेसमेंट में चल रहे कोचिंग संस्थानों की जांच में जुटा है। क्या नगर निगम वाले यह बता सकत हैं कि इतने सालों से बेसमेंट यानी पार्किंग में इन संस्थानों को चलने किसने दिया? किसी भी सरकारी विभाग के अफसरों के संज्ञान में यह बात क्यों नहीं आई कि बेसमेंट में कोई हादसा हो सकता है। अरे, कम से कम नगर निगम और फायर सेफ्टी वाले तो एनओसी देने के पहले इस बिल्डिंग को देखने गए होंगे?
क्या यह अफसर बता सकते हैं कि दिल्ली की घटना होने के पहले इंदौर में बेसमेंट में चल रहे कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे सारे बच्चे सुरक्षित थे? और यह भी बताएं कि इस हो-हल्ले के बाद कितने दिनों तक ये बच्चे सुरक्षित रहेंगे। क्योंकि होता यही है कि कार्रवाई का शोर खत्म होते ही फिर सबकुछ पुराने ढर्रे पर चलने लगता है। इंदौर के हित में जिम्मेदार प्रशासनिक अफसर कम से कम इतनी पुख्ता व्यवस्था तो कर ही सकते हैं कि भविष्य में भी इंदौर ऐसी घटना से सुरक्षित रहे। अब तो पूरी सूची भी आ गई है कि कौन से संस्थान असुरक्षित अवस्था में चल रहे थे, कम से उन पर तो नजर रखी ही जा सकती है।
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