-हरीश फतेहचंदानी
इंदौर। भ्रष्टाचार के आरोप में इंदौर विकास प्राधिकरण से हटाए गए संपदा अधिकारी मनीष श्रीवास्तव पुन: ससम्मान अपनी कुर्सी पर वापस आ गए हैं। और इस बार तो किसी बड़े आका का आशीर्वाद भी उनके साथ है यानी श्रीवास्तव जी को अब आईडीए में भ्रष्टाचार का पूरा लाइसेंस मिल गया है। उनकी वापसी के बाद आईडीए में चर्चा है कि आखिर किसने उन्हें क्लीन चिट दिलाई।
उल्लेखनीय है कि कुछ महीने पहले कलेक्टर ने शिकायत मिलने के बाद मनीष श्रीवास्तव को संपदा शाखा से हटाया था। कारण जानना चाहेंगे आप-श्रीवास्तवजी ने आईडीए के साथ कलेक्टोरेट के काम की भी सुपारी ले ली थी और तहसीलदार पर दबाव बनाकर एक गलत नामांतरण करा लिया था। जब कलेक्टर को इसकी जानकारी लगी तो वे आश्चर्य में पड़ गए और श्रीवास्तवजी को संपदा शाखा से हटा दिया। अब श्रीवास्तव जी ने भोपाल के एक बड़े अधिकारी से फोन लगवाकर अपनी कुर्सी फिर से पा ली है।
अपने एक पुराने अधिकारी की राह पर
श्रीवास्तवजी की वापसी से आईडीए में चर्चा है कि अब तो भ्रष्टाचार की रफ्तार दोगुनी हो जाएगी और वे अपने वरिष्ठों की भी नहीं सुनेंगे। पहले तो वरिष्ठों को बेवकूफ ही बनाते थे, लेकिन अब आकाओं के दम पर हावी होने की कोशिश भी करेंगे। आईडीए में इस बात की भी चर्चा है कि श्रीवास्तवजी का कामकाज आईडीए के ही एक पुराने अधिकारी जैसा है। भूमाफियों के बीच दिनरात रहने वाले उस अधिकारी को जब लगा कि अब वे फंस जाएंगे तो नौकरी छोड़ भाग गए। और सबको पता है कि आईडीए में बैठकर उन्होंने भ्रष्टाचार का जो पौधा लगाया था, वह आज इंदौर और आसपास कई कॉलोनियों के रूप में है। इनमें से एक-दो कॉलोनियां तो श्रीमान ने खुद ही काटी हैं।
खैर, श्रीवास्तवजी आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। वैसे भी आईडीए में अब शहर हित का कौन सा काम हो रहा है। आप तो अपने पुराने कई अधिकारियों की परंपरा को आगे बढ़ाते रहो, जनता से आपका क्या लेना-देना। पूरी उम्मीद है क जब आप रिटायर हो जाओगे या नौकरी छोड़ जाओगे तो आपके नाम से भी इंदौर में कुछ कॉलोनियां या बिल्डिंगे देखने को मिलेंगी।
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