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महाराष्ट्र की बुरी हार से बौखलाई उद्धव ठाकरे की शिवसेना, सामना में जमकर निकाली भड़ास, कहा-बेईमानी से जीती भाजपा

शिवसेना ने इस जीत के पीछे अडाणी राष्ट्र की भयानक साजिश बताया

मुंबई। महाराष्ट्र में बुरी तरह हार के बाद शिवसेना यूबीटी ने अपने अखबार सामना में जमकर भड़ास निकाली है। सामना में इसे बेईमानी की जीत और अदानी राष्ट्र की साजिश बताया है। शिवसेना ने भाजपा के बंटेंगे तो कटेंगे जैसे नारों पर भी निशाना साधा है। शिवसेना ने कहा कि यह चुनाव परिणाम विचलित करने वाला है।

शिवसेना ने लिखा है कि विधानसभा के नतीजे गए हैं, लेकिन ये जनमत यानी जनादेश नहीं है। महायुति को 231 सीटें मिल सकती हैं, इस पर कौन विश्वास करेगा? बेईमान शिंदे गुट 57 और नाजुक अजीत पवार गुट ने 41 सीटें जीत लीं हैं। राज्य की सरकार के खिलाफ प्रचंड असंतोष उबल रहा था। महाराष्ट्र की जनता भाजपा और उसके द्वारा पोषित गद्दारों के खिलाफ धधक रही थी। जब महाराष्ट्र की जनता सभी बेईमानों को गाड़ने का संकल्प लेकर मतदान करती है, लेकिन एक झटके में सभी बेईमान जीत जाते हैं। बेईमानों की जय-जयकार करते हुए विजय जुलूस निकलते हैं तो यह महाराष्ट्र की स्वाभिमानी छवि पर आघात है। यह नतीजा स्वीकार करने लायक नहीं।

अडाणी के मामले पर भाजपा को घेरना

सामना में शिवसेना ने गौतम अडाणी के मामले को लेकर सरकार पर भाजपा पर हमला किया है। शिवसेना ने कहा है कि इस जीत के पीछे अडाणी राष्ट्र की भयानक साजिश है। दो दिन पहले अमेरिका में अडाणी की गिरफ्तारी का वारंट जारी होता है। इसके बाद पूरी भाजपा अडानी के भ्रष्टाचार के पुश्त पनाही में खड़ी हो जाती है। जिस अडाणी की जेब में मुंबई समेत महाराष्ट्र की सार्वजनिक संपत्ति को डालने की साजिश मोदी-शाह-फडणवीस-शिंदे रचते हैं, उसी अडाणी को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए महाराष्ट्र का संपूर्ण परिणाम किया गया। आज महाराष्ट्र खत्म हो गया इसलिए राष्ट्र भी खत्म हो गया। महाराष्ट्र की छाती पर अडानी राष्ट्र खड़ा होता दिख रहा है। यह जीत सच नहीं है!

महाराष्ट्र के उद्योग गुजरात ले गए

शिवसेना ने लिखा है कि कर्ज तले डूबे महाराष्ट्र के किसान आत्महत्या कर रहे हैं। प्याज, टमाटर, दूध सड़क पर फेंकना पड़ रहा है। महाराष्ट्र के उद्योगों को गुजरात ले जाए जाने से राज्य के युवा बेरोजगार हो गए हैं। बेरोजगारी की वजह से किसानों के बच्चों की शादी नहीं हो पाती।  फिर भी, क्या कोई विश्वास कर सकता है कि इस सरकार के प्रति प्रेम की ऐसी लहर उठी और उसमें एक बदनाम, असंवैधानिक सरकार दोबारा जीत गई। जिस महाराष्ट्र में चार महीने पहले महाराष्ट्र ने लोकसभा में मोदी के बहुमत को रोकने का पुरुषार्थ दिखाया था, उसी महाराष्ट्र में अगले चार महीने में विधानसभा का यह नतीजा

भाजपा ने जहरीले नारों से किया प्रचार

शिवसेना ने भाजपा के नारों पर भी वार किया है। सामना में कहा गया है कि महाराष्ट्र की धरती पर बंटेंगे तो कटेंगे जैसे जहरीले प्रचार अभियान बेशर्मी से चलाए गए।  चुनाव आयोग ने कोई आपत्ति नहीं उठाई। पैसों की बारिश की गई। अब अगर पैसे के दम पर चुनाव लड़ना और जीतना है तो लोकतंत्र को ताला ही जड़ देना होगा। केवल अडानी की पार्टी ही चुनाव लड़ सकेगी। आम आदमी के बहुमूल्य मत को पैसे के वजन पर तौला गया और अब उसी के अनुरूप जीत की गूंज सुनाई देने लगी।

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