पिछले कुछ समय से कतिपय लोगों द्वारा शहर का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। चाहे वह दीपावली पर पटाखा चलाने को लेकर हुए विवाद की बात हो या फिर मस्जिद पर गजवा-ए-हिंद का पोस्टर लगाने का मामला हो। जिसने भी यह किया, उसका मकसद साफ था कि किसी भी तरह से शहर का माहौल खराब किया जाए। पटाखे वाले विवाद में पत्थरबाजी से लेकर आगजनी तक हो गई थी, लेकिन शहर के कुछ नेता और पुलिस ने मिलकर ऐसे तत्वों के मंसूबे पर पानी फेर दिया।
ऐसे तत्व यह क्यों भूल जाते हैं कि अब इस शहर के प्रभारी मंत्री प्रदेश के सीएम डॉ.मोहन यादव हैं। अब कुछ भी करके छुटभैये नेताओं से फोन लगवाकर बचने की गली ही नहीं बची। सीएम अब शहर को पूरी तरह समझ चुके हैं और राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर इसकी सर्जरी भी शुरू कर दी है। यही वजह है कि जब राकेश गुप्ता की जगह किसी नए पुलिस कमिश्नर की तैनाती की बात आई तो सीएम ने संतोष सिंह जैसे कड़क और निष्पक्ष अफसर को इसकी कमान सौंपी।
राजनीतिक रूप से भी देखें तो सीएम ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी दूसरे की विधानसभा में किसी और का दखल नहीं होना चाहिए। इसका असर भी दिखने लगा है। कतिपय नेता जो किसी भी विधानसभा में रौब जमाने निकल पड़ते थे, उन्होंने भी अब हरकतें कम कर दी हैं और अधिकारियों के सामने भी दुविधा की स्थिति नहीं है।
छत्रीपुरा थाना क्षेत्र में दीपावली के अगले दिन जो कुछ भी हुआ, वह इंदौर जैसे शांतिप्रिय शहर के लिए कलंक जैसा ही था। कतिपय लोगों ने बच्चों को पटाखा चलाने से रोका और विवाद को इतना बढ़ा दिया कि पत्थरबाजी और आगजनी तक की नौबत आ गई। विधानसभा चार की विधायक मालिनी गौड़ के पुत्र और हिन्द रक्षक संगठन के सर्वेसर्वा एकलव्य सिंह गौड़ ने तब इस घटना पर कड़ी आपत्ति ली। उन्होंने पुलिस-प्रशासन पर दबाव बनाया। इसका परिणाम हुआ कि जिस जगह बच्चों को पटाखा चलाने से रोका गया, कुछ घंटों बाद पुलिस ने उसी जगह पटाखे चलवाए।
यह मामला अभी पूरी तरह से ठंडा भी नहीं हुआ था कि कागदीपुरा इलाके की एक मस्जिद पर गजवा-ए-हिंद का पोस्टर लहराता दिखाई दिया। हिन्द रक्षक संगठन के एकलव्यसिंह गौड़ ने सोशल मीडिया पर इसका फोटो पोस्ट कर पुलिस-प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की। पुलिस-प्रशासन सक्रिय हुआ और शहर का माहौल खराब करने की यह कोशिश भी बेकार हो गई।
शहर का माहौल बिगाड़ने वालों को यह स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि सीएम यादव की इंदौर पर पूरी नजर है। वे किसी भी हालत में शहर के विकास की रफ्तार को कम नहीं होने देना चाहते।
इसलिए सावधान हो जाएं…पुलिस-प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधि भी सजग हैं…पहले भोपाल तक बात पहुंचानी पड़ती थी…अब भोपाल ही इंदौर में है…इसलिए ऐसी कोई कोशिश न करें, जिससे शहर का माहौल बिगड़े…वर्ना परिणाम के लिए भी तैयार रहें…
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