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मध्यप्रदेश में आईएएस-आईएफएस अफसरों के बीच पावर गेम, ऐसा क्या हुआ कि थम नहीं रहा विवाद

प्रदेश सरकार के एक आदेश ने उड़ाई आईएफएस अफसरों की नींद

-हरीश फतेहचंदानी

इंदौर। मध्यप्रदेश में इन दिनों अधिकारियों के बीच हाई लेवल पावर गेम चल रहा है। आईएएस और आईएफएस एक-दूसरे को ऊंचा साबित करने में जुटे हैं। भारतीय वन सेवा के अधिकारी मध्य प्रदेश सरकार के एक विवादास्पद आदेश को चुनौती दे रहे हैं, जिससे उनके अधिकार कमजोर होंगे। हाल ही में राज्य सरकार ने एक आदेश जारी किया, जिसमें आईएफएस अधिकारियों की वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (एपीएआर) प्रक्रिया को बदलते हुए इसे आईएएस अधिकारियों के अधीन कर दिया गया। इस आदेश के बाद  आईएफएस अधिकारी इस बदलाव के विरोध में उतर आए हैं और इसे सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना करार दिया है।

इसको लेकर आईएफएस एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात कर एक ज्ञापन भी दिया है। यदि कोई समाधान सरकार के स्तर पर नहीं होता है तो हम सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। आईएफएस अधिकारियों का कहना है कि 29 जून 2024 का सरकार का आदेश वन विभाग के कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप और वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को प्रभावित कर सकता है। उनको यही भी आशंका यह है कि यह आदेश पर्यावरण मंजूरियों को प्रभावित करने का कोई षड्यंत्र भी हो सकता है। दूसरी तरफ आईएएस अधिकारियों का कहना है कि यह नियम पहले से ही कर्नाटक, ओडिशा, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में लागू है और मध्य प्रदेश में इसे लागू करना कोई नई बात नहीं है।

यह है सरकार का आदेश

29 जून, 2024 को मध्य प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी कर आईएफएस अधिकारियों के लिए वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (एपीएआर) चैनल को प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) से बदलकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) कर दिया। एमपीआईएफएसए के अनुसार, यह परिवर्तन सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करता है। नए आदेश में एपीएआर प्रक्रिया में अन्य सेवाओं (एसीएस/पीएस) के अधिकारियों को भी शामिल किया गया है, जो कि वन विभाग के भीतर रिपोर्टिंग अधिकारियों के वरिष्ठ अधिकारी होने की आवश्यकता के विपरीत है।

याचिका दायर करने की बनाई योजना

आईएफएस अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले मामलों का हवाला देते हुए अवमानना याचिका दायर करने की योजना बनाई है, जिसमें कहा गया है कि अतिरिक्त मुख्य वन संरक्षक (एपीसीसीएफ) के स्तर तक के अधिकारियों की गोपनीय रिपोर्ट लिखने के लिए जिम्मेदार अधिकारी उसी सेवा के वरिष्ठ अधिकारी होने चाहिए।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में, मध्य प्रदेश सरकार ने 21 दिसंबर, 2000 को एपीसीसीएफ के स्तर तक के आईएफएस अधिकारियों के लिए रिपोर्टिंग, समीक्षा और स्वीकृति अधिकारियों के संबंध में एक आदेश जारी किया। यह आदेश वर्तमान एपीएआर लेखन चैनल का आधार बना। केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने स्पष्ट किया था कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश केवल वन विभाग के भीतर वन अधिकारियों पर लागू होता है। इस सिफारिश को सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल, 2004 को स्वीकार कर लिया और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने राज्यों को इसी तरह का निर्देश जारी किया।

 

 

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