इंदौर। भाजपा के जिलाध्यक्षों की सूची दिग्गज नेताओं की लड़ाई में एक बार फिर अटकी पड़ी है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री के दिल्ली में राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ बैठक में भी इसका निराकरण नहीं हुआ। बुधवार रात ही सूची लगभग तय हो गई थी। गुरुवार को जब नाम बाहर आए, तब फिर से हड़कंप मच गया। कई दिग्गजों ने विरोध शुरू कर दिया, कुछ तो दिल्ली तक पहुंच गए जिसके कारण सूची घोषणा रोकनी पड़ी।
सूत्र बताते हैं कि इंदौर से नगर अध्यक्ष के लिए टीनू जैन का नाम लगभग तय हो गया था, लेकिन जब इसकी भनक दूसरे नेताओं को लगी तो जमकर विरोध शुरू हो गया। टीनू जैन का नाम मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने आगे बढ़ाया था। इसके पीछे बेटे आकाश का दबाव था, लेकिन विधायक रमेश मेंदोला लंबे समय से सुमित मिश्रा के लिए कोशिश कर रहे थे और उनका दबाव था कि मिश्रा को नगर अध्यक्ष बनाया जाए। रायशुमारी में भी सबसे ज्यादा लोगों ने सुमित मिश्रा के नाम दिए थे। जब मामला बिगड़ता दिखा तो मंत्र विजयवर्गीय ने भी पलटी मार ली।
टीम बचाने के लिए चिंटू के पक्ष में खड़े हुए
प्रदेश संगठन ने मंत्री विजयवर्गीय को यह स्पष्ट कर दिया था कि या तो जिले में अपना समर्थक बना लें या नगर में। जिले में विजयवर्गीय ने अपने खास समर्थक चिंटू वर्मा को पहले से ही यह कमान सौंप रखी है। चिंटू दो नंबर खेमे विशेषकर विजयवर्गीय के खास समर्थक माने जाते हैं। जब कार्यकर्ताओं को यह पता चला कि विजयवर्गीय ने टीनू के लिए चिंटू का हाथ छोड़ दिया है तब जमकर बवाल मचने लगा। टीनू के नाम का इतना विरोध हुआ कि विजयवर्गीय को भी यू टर्न लेना पड़ा और वे चिंटू के पक्ष में आ गए। वैसे भी चिंटू को जिला अध्यक्ष बने अभी एक साल भी नहीं हुआ है, ऐसे में उसका साथ न देना एक तरह से उसकी राजनीतिक हत्या जैसा ही था।
टीनू को लेकर हुआ जबरदस्त विरोध
जैसी ही विजयवर्गीय समर्थकों को पता चला कि टीनू का नाम फाइनल हो रहा है, विरोध शुरू हो गया। भाजपा के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कहा कि दो नंबर खेमे के साथ हमेशा से रहे चिंटू और सुमित मिश्रा जैसे कई कार्यकर्ताओं का साथ छोड़ टीनू के सिर पर हाथ रखने से गलत संदेश जाएगा। कई नेताओं ने यह भी कहा कि टीनू के ‘व्यवहार’ और शराब लॉबी से सांठगांठ किसी से छुपी नहीं है। अब क्या भाजपा कार्यालय शराब लॉबी के पैसे से चलेगा? दो नंबर के कई नेताओं ने यह भी कहा कि टीनू का टारगेट विधानसभा एक से चुनाव लड़ना है। अगर नगर अध्यक्ष बनवा दिया तो टीनू को लिए यह टारगेट आसान हो जाएगा। सूत्र बताते हैं कि इस जबरदस्त विरोध के कारण ही मंत्री विजयवर्गीय ने टीनू के सिर से हाथ हटा लिया।
अब और उलझ गया है पेंच
मंत्री विजयवर्गीय के चिंटू के लिए फिर से अड़ जाने के बाद नगर के साथ ही जिले का मामला भी उलझ गया है, क्योंकि जिले में मंत्री तुलसी सिलावट ने पेंच फंसा रखा है। रायशुमारी में तुलसी सिलावट के साथ ही पूरी विधानसभा के नेताओं ने वर्मा के नाम की जगह अंतर दयाल का नाम दिया है। देपालपुर विधायक मनोज पटेल और महू विधायक उषा ठाकुर ने भी वर्मा को सपोर्ट न करते हुए तुलसी सिलावट का साथ दे दिया। अंतर दयाल सोनकच्छ के विधायक राजेश सोनकर के भी खास माने जाते हैं। इसके अलावा मनोज पटेल भी चिंटू वर्मा को निपटाने में लगे थे, क्योंकि वर्मा देपालपुर से दावेदारी जताने लगे थे। अब सवाल यह है कि अगर जिले में चिंटू को अध्यक्ष बनाया जाता है तो नगर का क्या होगा?
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