सरेआम खुली सड़क पर नगर निगम के एक अधिकारी पर विधायक ने बल्ला चलाया। वीडियो भी बना। वायरल भी हुआ। नाराज अधिकारी की शिकायत पर विधायक के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा का प्रकरण भी दर्ज हुआ। मामला अदालत में भी पहुंचा, लेकिन अदालत बिना सबूत और गवाहों के क्या कर लेती। वह भी तब जिसने बल्ला खाया, वही पलट गया। कोर्ट में बल्ला खाने वाले ने कहा कि साहब मोबाइल में बिजी था, देख नहीं पाया कि किसने बल्ला मारा। अब बताइए इसमें अदालत क्या करे?
इस फैसले के बाद शहर में तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। जो नेतापुत्र पूर्व विधायक इस मामले में बरी हुए हैं, पूरे शहर में उनके जन्मदिन पर किंग ऑफ इंदौर के पोस्टर लगे हैं। बाहुबली नेता के पट्ठों ने बेटे को बरी करवाकर जन्मदिन का अच्छा तोहफा दे दिया है, लेकिन साथ ही शहर के लिए संदेश भी कि संभल जाओ, समझ जाओ। इसी नेतापुत्र के पोस्टर को देख कांग्रेस के साथ ही भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी ओटीटी की सीरीज मिर्जापुर की कल्पना कर ली थी। अब ताजे हालात में लोगों को ऐसा लगने लगा है कि कुछ नेताओं ने सचमुच इंदौर को मिर्जापुर ही समझ रखा है।
ज्यादा समय नहीं हुआ, तब डॉ.उमाशशि शर्मा महापौर थीं। इस बाहुबली नेता से उनकी बनती नहीं थी। इसी नेता के समर्थक जो इन दिनों महापौर परिषद में कुर्सी की शोभा बढ़ा रहे हैं, अपने पट्ठों के साथ सिटी इंजीनियर एनएस तोमर को निगम परिसर में ही दौड़ा-दौड़ा के मारा था। विवाद भी कुछ नहीं था, छावनी के किसी आयोजन में चंदे की बात थी। मारपीट के तुरंत बाद इसी नेता के समर्थकों ने अजाक थाने में जाकर सिटी इंजीनियर के साथ जातिसूचक शब्द बोलने व मारपीट करने की रिपोर्ट लिखा दी, लेकिन तोमर की रिपोर्ट लिखने में पुलिस को 5-6 घंटे लग गए। वह भी रिपोर्ट तब लिखी गई जब महापौर और मीडिया ने दबाव बनाया। शहर में मुंह काला करने जैसे छोटे-मोटे कांड तो चलते रहते हैं।
जब एक बाहुबली नेता खुद महापौर थे, तब नगर निगम में ज्वाइन करने के लिए अधिकारियों को तब के पार्षद और वर्तमान में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले विधायक के घर के कई चक्कर लगाने पड़ते थे। निगम के स्थापना विभाग से साफ-साफ कहा जाता था कि जब तक फलाने दादा की एनओसी नहीं आएगी, आपकी ज्वाइनिंग नहीं होगी।
इन्हीं घटनाओं की आगे की कड़ी है बल्लाकांड। अब जरा बताइए, जब पूरे शहर में आपका बाहुबल चल रहा है, वर्तमान में नगर निगम से जुड़ा विभाग भी आपके पास हो तो कौन अधिकारी है जो आपके खिलाफ बोलेगा। जब यह घटना हुई तो अधिकारी के साथ कई मस्टरकर्मी भी थे, जो आपके ही रहमोकरम पर जी रहे हैं। ऐसे में कौन गवाही देता।
सबसे खास बात यह कि इस बल्लाकांड की निंदा पीएम नरेंद्र मोदी ने की थी, लेकिन उस निंदा से आपको कोई फर्क नहीं पड़ा। आपके सिद्धांत भाजपा से अलग हैं, आपका विजन मोदी के विजन से अलग है। आप शुरू से बाहुबल के दम इंदौर पर राज करते आए हो, बीच में परिस्थितियां विपरित जरूर हुई थीं, लेकिन अब फिर से पावर में आने के बाद आप पूरे इंदौर में सिर्फ खुद को देखना चाहते हो। न तो आपको दूसरे जीते हुए विधायक दिखाई देते और न भाजपा का कोई दूसरा नेता या कार्यकर्ता।
इस घटना के बाद लोग यह मानने लगे हैं कि इंदौर मिर्जापुर सीरीज की राह पर चल पड़ा है। मिर्जापुर के कालीन भईया की झलक लोगों को दिखने लगी है।
लोग कह रहे हैं…अब आदत डाल लीजिए…इंदौर में यही सब होगा…जब सरकारी अधिकारियों की कोई औकात नहीं तो आप आम आदमी कहां टिकोगे…
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