खुद को शिव साधक कहकर लोगों के सारे कष्ट दूर करने वाले पं.प्रदीप मिश्रा सचमुच आप बहुत पहुंचे हुए संत हो। हर बार शिव भक्तों को ही कष्ट देते हो। पता नहीं इसमें आपको क्या खुशी मिलती है। कभी रुद्राक्ष बांटने के बहाने बुलाकर जान ले लेना, कभी महाकाल के गर्भगृह में दर्शन बंद करा देना और अब लाखों लोगों को इंदौर से भोपाल और भोपाल से इंदौर पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए हाईवे को बंद करा देना। सचमुच आपकी शक्ति अपरंपार है।
पंडितजी इन दिनों आप कुबरेश्वर धाम में शिव महापुराण कह रहे हो। 25 फरवरी से शुरू हुई कथा 3 मार्च तक चलेगी। इस दौरान इंदौर-भोपाल हाईवे का रास्ता डायवर्ट कर दिया गया है। अपने जरूरी काम से जाने वाले लाखों लोग रोज परेशान हो रहे हैं, लेकिन पंडितजी आपको इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आपको तो शिव के नाम पर अपनी ताकत दिखानी है, भले ही शिव भक्त परेशान होते रहें।
प्रशासन का यह फैसला भी अजीबोगरीब ही है। हो सकता है पिछले साल रुद्राक्ष बांटने के चक्कर में मची भगदड़ को देखते हुए डर के मारे यह फैसला लिया गया होगा। पंडित जी को तो शायद याद ही होगा कि तब एक महिला की मौत हो गई थी और दो हजार से ज्यादा लोग अस्पताल पहुंच गए थे। तीन लोग लापता हो गए थे। तब आपने 10 लाख लोगों को बुला लिया था जो घंटों धूप में परेशान होते रहे। उनके लिए कोई व्यवस्था भी नहीं की। न छांव का इंतजाम किया, न पानी का।
इसके पहले आपने एक और चमत्कार किया था। उज्जैन में कथा करने पहुंच गए और आपके कारण महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश बंद कर दिया गया। जब तक आपकी कथा चलती रही तब तक प्रवेश बंद रहा। आप कैसे शिवभक्त हो पंडितजी, जो आपने लोगों को महाकाल से दूर कर दिया?
पंडितजी, आप जो टोटके बताते हो, उससे कितने लोगों का फायदा हुआ, कभी यह जानने की कोशिश की है? लोग आप पर भरोसा करते हैं और अपनी समस्याओं से परेशान होकर आपसे उपाय समझने आते हैं। लेकिन, कई बार ऐसा लगता है कि आप लोगों की समस्याएं और ज्यादा बढ़ा देते हो।
शिवरात्रि पर हर साल कोयम्बटूर में एक आयोजन जग्गी वासुदेव जी भी करते हैं। वहां कभी भगदड़ नहीं मची। जब आप रुद्राक्ष के लिए लोगों की जान लेने पर उतारू हो गए थे, उस समय भी जग्गी वासुदेव जी ने रुद्राक्ष बांटा था। सीधा-सरल तरीका था, ऑनलाइन मंगाने का, वह भी मुफ्त। बिना भीड़ में धक्के खाए। आप भी तो यह तरीका अपना सकते थे, लेकिन आपको तो भीड़ की ताकत दिखानी थी।
कई बार ऐसा लगता है पंडितजी, आप सिर्फ अपनी झांकी जमाने की में लगे रहते हो। इस बार भी आपको यह ताकत दिखानी थी कि सरकार में आपकी कितनी पूछ-परख है और प्रशासन आपसे कितना डरता है।
पंडितजी, आपके इस रवैये से क्या भोलेनाथ प्रसन्न होते होंगे? अपने भक्तों का कष्ट देखकर कहीं उन्हें गुस्सा तो नहीं आता होगा?
पंतिडजी, आप तो अंतर्यामी हो, आपको क्या समझाना…थोड़ा लिखा है, ज्यादा समझ लेना…
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