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कलेक्टर ने शुरू किया ऑपरेशन खनिज, डामोर को सस्पेंड करने के साथ ही नामदेव की निगरानी के लिए डिप्टी कलेक्टर को बिठाया

प्रभारी खनिज अधिकारी और सिंडिकेट पर भी निगरानी शुरू, कई फाइलें खुलेंगी

इंदौर। खनिज विभाग में चल रही गड़बड़ियों से परेशान कलेक्टर आशीष सिंह ने अब इसका ऑपरेशन शुरू कर दिया है। सहायक खनिज अधिकारी चैन सिंह डामोर को सस्पेंड करने के साथ ही कलेक्टर ने प्रभारी खनिज अधिकारी जयदीप नामदेव पर निगरानी रखने के लिए प्रभारी डिप्टी कलेक्टर प्रियंका चौरसिया को तैनात कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि लंबे समय से खनिज विभाग में गड़बड़ियां जारी हैं। खनिज माफियाओं के साथ मिलकर इस विभाग में तैनात अधिकारी और कर्मचारी सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान करते आ रहे हैं। लगातार मिल रही शिकायतों के कारण ही खनिज अधिकारी संजय लुणावत का ट्रांसफर किया गया था। इसके बाद भी स्थितियां नहीं सुधरीं। प्रभारी खनिज अधिकारी जयदीप नामदेव ने तो और भी ऊंचे खेल शुरू कर दिए। कुछ समय पहले ही नामदेव ने वाहवाही लूटने के लिए  संजय शुक्ला की खदान पर 140 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाई थी, लेकिन मिलीभगत से ऐसा खेल जमाया कि सरकार को एक रुपया भी नहीं मिला। यहां तक कि सील की गई क्रेशर मशीन भी गायब हो गई।

सिंडिकेट को कलेक्टर का सख्त संदेश

खनिज माफियाओं, नेताओं, अधिकारियों आदि का एक बड़ा सिंडिकेट खनिज विभाग में काम कर रहा है। सिंडिकेट यह दावा करता है कि सबकुछ उसी के हिसाब से चल रहा है। यही सिंडिकेट डामोर को हटवाने का दावा भी कर रहा है, जबकि कलेक्टर ने लापरवाही पाए जाने पर जांच के बाद कार्रवाई की है। यही सिंडिकेट जयदीप नामदेव को विभाग का सर्वेसर्वा बने रहने का दावा भी कर रहा था, लेकिन कलेक्टर ने प्रभारी डिप्टी कलेक्टर प्रियंका चौरसिया की तैनाती कर सिंडिकेट को भी यह स्पष्ट संदेश दे दिए हैं कि किसी मुगालते में नहीं रहें। कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा भी है कि इस मामले में वे अब किसी को भी नहीं बख्शने वाले। सरकार के राजस्व का नुकसान करने वाला चाहे कोई भी हो उस पर कार्रवाई होगी।

नामदेव और उससे जुड़े माफियाओं पर नजर

प्रभारी खनिज अधिकारी जयदीप नामदेव का ट्रांसफर सीधी हो चुका है, लेकिन वह दावा करता है कि उसे यहां से कोई नहीं हटा सकता। सिंडिकेट के लोग भी यह दावा कर रहे थे कि अब सबकुछ नामदेव के हाथ में ही रहेगा, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा। नामदेव भी तभी तक यहां हैं जब तक शासन से कोई नया अधिकारी नहीं आ जाता। तब तक के लिए उनके ऊपर बिठाए प्रभारी डिप्टी कलेक्टर ही निगरानी रखने के लिए काफी है। सूत्र बताते हैं कि अब नामदेव और उसके खासमखास लोगों की भी निगरानी शुरू हो चुकी है।

संभागायुक्त की जांच में पाया जा चुका दोषी

नामदेव के खिलाफ लगातार शिकायतें मिली हैं। संजय शुक्ला की खदान के अलावा भी उसने कई खदान माफियाओं के मामले में सरकार को करोड़ों का चूना लगाया है। कई खनिज माफियाओं से नामदेव की सांठगांठ उजागर हो चुकी है। संभागायुक्त दीपक सिंह की जांच में भी वह दोषी पाया गया है। सूत्र बताते हैं कि नामदेव की सारी फाइलें फिर से खुलने वाली हैं। ऐसी फाइलें भी खुलेंगी जिनमें कार्रवाई के नाम पर नामदेव ने मीडिया में सुर्खियां बटोंरीं, लेकिन एक रुपए का राजस्व नहीं मिला। कई ऐसी फाइलें भी हैं जिनमें दोषी पाए जाने के बाद भी खदान मालिक को फिर से खदान दे दी गई।

 

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