भोपाल। दिग्गज नेताओं की खींचतान के बीच भाजपा के जिला अध्यक्षों की सूची पर अंतिम मुहर लगाने की खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि एक साथ ही सभी जिलों के नामों की घोषणा की जाएगी। भाजपा प्रदेश नेतृत्व को दिल्ली से इस संबंध में विशेष हिदायत दी गई है। इस सूची में चार साल का बंधन लागू रहेगा, जिसके कारण कई उम्मीदवार खुद ब खुद बाहर हो गए हैं। बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में भी यह बंधन लागू रहेगा।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार तक यह चर्चा थी कि देर रात तक जिलाध्यक्षों की सूची आ जाएगी, लेकिन बाद में पता चला कि कुछ बड़े जिलों को लेकर मामला उलझा हुआ था। इसके बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने दिल्ली में राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष से मुलाकात की। सूत्र बताते हैं कि वहां से स्पष्ट कहा गया कि जो लोग चार साल इस पद पर रह चुके हैं, उन्हें रिपीट नहीं किया जाए। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि एक साथ सारे जिलों के नाम घोषित किए जाएं, ताकि पार्टी की किरकिरी न हो।
जिलाध्यक्षों की सूची के बाद प्रदेश अध्यक्ष की कवायद
मध्यप्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी होना है। तब तक इसकी प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकती, जब तक जिलाध्यक्षों के नाम घोषित न हो जाएं। इस कायद में केंद्रीय नेतृत्व अब ज्यादा देरी नहीं चाहता, इसलिए जल्दी से जल्दी नामों की घोषणा करने के निर्देश हैं। बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में भी चार साल का बंधन लागू रहेगा।
इस बार एससी-एसटी हो सकता है प्रदेश अध्यक्ष
इस बार प्रदेश अध्यक्ष के लिए सारे दिग्गज कोशिश कर रहे हैं। इसमें ब्राह्मण-ठाकुर नेता भी सक्रिय हैं। सूत्र बताते हैं कि जातीय समीकरण के हिसाब से इस बार एससी-एसटी के खाते में भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी आ सकती है। वर्तमान अध्यक्ष ब्राह्मण हैं। सीएम ओबीसी वर्ग से आते हैं, वहीं विधानसभा अध्यक्ष ठाकुर हैं। ऐसे में भाजपा सामाजिक समीकरण साधते हुए किसी एससी-एसटी नेता को यह ताज पहना सकती है।
जिलाध्यक्षों के लिए भिड़ते रहे ये दिग्गज
जिलाध्यक्षों की सूची का मामला कुछ खास इलाकों के दिग्गज नेताओं के कारण अटका रहा। ग्वालियर अंचल में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थकों को लेकर फंसा था तो वहीं इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय और अन्य नेताओं के बीच भी उलझन रही। सागर जिले में तीन-तीन खेमें एक साथ थे। एक तरफ पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह जोर लगा रहे हैं तो दूसरी तरफ मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और विधायक शैलेंद्र जैन जोर आजमाइश करते रहे। रीवा और विंध्य में भी यही स्थिति रही। सूत्र बताते हैं कि कई जिलों में बड़े नेताओं और मंत्रियों की बात रख ली गई है। इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, राजेंद्र शुक्ल, कैलाश विजयवर्गीय, तुलसी सिलावट जैसे नेताओं के नाम हैं।
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