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स्कीम 171 में आईडीए का बड़ा घोटाला, विवादित देवी अहिल्या संस्था से भरवा लिए दूसरी संस्थाओं के पैसे

अफसरों की मिलीभगत से एक बार फिर भूमाफिया मार रहे हैं लोगों का हक

इंदौर। वर्षों विवादों में रही स्कीम 171 छोड़ने के बाद भी इंदौर विकास प्राधिकरण में घोटाला जारी है। आईडीए ने स्कीम छोड़ने के बाद 13 गृह निर्माण संस्थाओं और कुछ निजी जमीन मालिकों से विकास शुल्क आदि के पैसे लेने के लिए अखबारों में विज्ञापन दिए थे। 22 दिसंबर तक पैसे भरे जाने थे। इसमें आईडीए के स्तर पर बहुत बड़ा घोटाला हो रहा है। सबसे विवादित संस्था देवी अहिल्या गृह निर्माण ने दूसरी संस्थाओं के पैसे भी भर दिए और आईडीए के अफसर आंखें मू्ंदे रहे।

यह मामला तब उजागर हुआ जब संभागायुक्त, कलेक्टर और सहकारिता विभाग के पास ऐसी शिकायत पहुंची। इसमें पता चला कि रजत गृह निर्माण संस्था और डायमंड इन्फ्रा के पैसे देवी अहिल्या गृह निर्माण संस्था के खाते से आईडीए में भर दिए गए हैं। इसके बाद अफरातफरी मच गई और सहकारिता विभाग ने तुरंत जांच शुरू कर दी। जांच के बाद इन संस्थाओं के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

जिनके नाम से जमीन ही नहीं उनसे भरवा लिए पैसे

यहां सवाल यह है कि जब आईडीए ने संबंधित संस्थाओं और लोगों को डिमांड भेजी, तो राशि दूसरे से कैसे भरवा सकता है। यह राशि जमा करवाते समय यह भी नहीं देखा गया कि क्या संबंधित संस्थाओं ने देवी अहिल्या संस्था को कोई अधिकार पत्र दे रखा है। नियमानुसार जिनके नाम राजस्व रिकॉर्ड में हैं, उन्हीं से आईडीए को पैसा लेना है, लेकिन ऐसा नहीं कर बहुत बड़ी आर्थिक अनियमितता की जा रही है। जब राशि जमा हो गई है तो आईडीए एनओसी भी जारी कर देगा। इस गड़बड़ी के उजागर होने के बाद आईडीए को तत्काल एनओसी पर रोक लगा देना चाहिए।

संबंधित पर तत्काल हो एफआईआर

आईडीए के इस घोटाले के उजागर होने के बाद न केवल फर्जीवाड़ा करने वाली संस्थाओं बल्कि इसमें शामिल अधिकारियों व कर्माचारियों पर भी तत्काल धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज होना चाहिए। क्योंकि अधिकारियों के बिना मिलीभगत के इस गड़बड़ी को अंजाम दिया ही नहीं जा सकता। ट्रांजेक्शन में स्पष्ट है कि किसके नाम पर किसके कौन से बैंक के खाते से राशि आई है। ऐसे में क्या अधिकारी आंखें मूंदे बैठे रहे।

देवी अहिल्या के खाते से 6 लाख का ट्रांजेक्शन

देवी अहिल्या श्रमिक कामगार सहकारी संस्था ने रजत गृह निर्माण और डायमंड इनफ्रास्ट्रक्चर्स के पैसे भर दिए। यह सारा भुगतान देवी अहिल्या संस्था के बैंक ऑफ महाराष्ट्र की पलासिया शाखा के खाता क्रमांक 60414728455 से किया गया है। कुल 6 लाख 64 हजार 561 रुपए का भुगतान हुआ है, जिसमें से रजत गृह निर्माण संस्था के नाम पर 3 लाख 97 हजार 427 रुपए दिए गए हैं। डायमंड इन्फ्रास्ट्रक्चर्स के नाम पर 79,129, 36,290 और 1,51, 561 रुपए के तीन भुगतान हैं। सभी ट्रांजेक्शन देवी अहिल्या के बैंक खाते से 16 दिसंबर को हुए हैं।

देवी अहिल्या के कर्ताधर्ताओं पर कार्रवाई की मांग

सहकारिता विभाग को की गई शिकायत में देवी अहिल्या संस्था के हटाए गए अध्यक्ष विमल अजमेरा, उपाध्यक्ष मनोज काला एवं प्रबंधक अनिल महाडिक के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग की गई है। इसके साथ ही रजत गृह निर्माण सहकारी संस्था तथा डायमंड इन्फ्रास्ट्क्चर कंपनी को एनओसी जारी नहीं करने का अनुरोध किया गया है। यह शिकायत संभागायुक्त, कलेक्टर, संयुक्त संचालक सहकारिता, सीईओ इंदौर विकास प्राधिकरण और उपायुक्त सहकारिता को की गई है।

तत्काल जांच कर करेंगे कार्रवाई-प्रभारी डीआर

प्रभारी डीआर जीएस परिहार ने कहा कि ऐसी शिकायत मिली है। हमने इसकी जांच तत्काल शुरू कर दी है। जांच के बाद संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जब उनसे पूछा गया कि क्या एफआईआर भी होगी, तो उन्होंने कहा कि जांच के बाद ही यह तय करेंगे।

डायमंड इन्फ्रा के पास जमीन ही नहीं

सूत्र बताते हैं कि जिस डायमंड इन्फा का पैसा देवी अहिल्या ने भर दिया है, उसके पास तो जमीन ही नहीं है। पहले यह जमीन एक उद्योगपति ने खरीदी। फिर इसे एक सिंधी बिल्डर के यहां गिरवी रख दी। इसके बाद दीपक जैन मद्दा ने इसका सौदा कर दिया। यह जमीन दीपक मद्दा के करीबी अजय जैन एक भूमाफिया को बेच दी।

रजत की जमीन पर भूमाफियाओं का कब्जा

सूत्रों का कहना के है कि रजत गृह निर्माण संस्था की जमीन पर सुरेंद्र संघवी और राजू बोस की पार्टनशिप थी। इन्होंने इस जमीन पर कब्जा कर लिया था। यह जमीन भी टुकड़ों-टुकड़ों में कई लोगों को बेच दी गई है। इसका पैसा भी देवी अहिल्या संस्था ने भर दिया है। इसका मतलब साफ है कि इसके पीछे किसी बड़े भूमाफिया का हाथ है और इसमें अधिकारियों की मिलीभगत भी है।

सीएम के इंदौर में क्या फिर ठगे जाएंगे लोग

जब से डॉ.मोहन यादव प्रदेश के सीएम बने हैं तब से उन्होंने भूमाफियाओं के खिलाफ सख्त रवैया अपना रखा है। कई भूमाफियाओं पर कार्रवाई भी हुई। सीएम की मंशा है कि भूमाफियाओं के चंगुल से लोगों को मुक्ति दिलाई जाए। ऐसे में लंबी लड़ाई के बाद अपनी मेहनत की कमाई से खरीदे प्लॉट पर मकान बनाने का सपना देख रहे लोगों को इंसाफ कैसे मिलेगा। आईडीए की स्कीम 171 छूटने के बाद लोगों को लगा कि उनका सपना पूरा हो जाएगा, लेकिन अधिकारी ऐसा होने नहीं दे रहे। अब लोगों को उम्मीद है कि सीएम इस मामले के दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेंगे।

 

 

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