इंदौर। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भोपाल से यूनियन कार्बाइड का कचरा पीथमपुर आ चुका है। इसके बाद से यहां जोरदार विरोध हुआ और पीथमपुर बंद के दौरान दो युवकों ने पेट्रोल छिड़ककर खुद को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद सीएम को बयान देना पड़ा कि फिलहाल कचरे को नहीं जलाया जाएगा और जनता की भावना से कोर्ट को अवगत कराया जाएगा। ताज्जुब की बात यह है कि आग लगाने वाले दो युवकों में से एक राजकुमार रघुवंशी धार जिले के प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का कट्टर समर्थक है।
पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजकुमार रघुवंशी थाना सागौर, जिला धार के ग्राम आसुखेड़ी का निवासी है। उसके खिलाफ धार जिले के थाना सागौर में तीन प्रकरण पंजीबद्ध हैं। इनमें से एक प्रकरण 302 का भी है, जो तब दर्ज हुआ था जब रघुवंशी ने अपनी पत्नी को आग लगा दी थी। पुलिस बता रही है कि यह आपराधिक प्रवृत्ति का युवक है और इसके इलाके के भी लोगों ने इसकी पुष्टि की है। खास बात यह कि यह काफी समय से मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का समर्थक है। इसके दोनों फेसबुक प्रोफाइल पर मंत्री के साथ इसकी अनगिनत तस्वीरें है। इतना ही नहीं आंदोलन के दौरान जलने के बाद भी मंत्रीजी इसका हालचाल लेने अस्पताल गए थे।
क्या अपने समर्थकों को समझा नहीं पाए मंत्रीजी?
यहां बड़ा सवाल यह है कि सीएम डॉ.मोहन यादव ने यूनियन कार्बाइड के कचरे के विरोध को थामने का जिम्मा धार जिले के प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को सौंपी थी। रात में कचरा पहुंचा और दिन में मंत्रीजी शहरभर के अधिकारियों और बुद्धिजीवियों के साथ बैठक भी कर रहे थे। यह भी दावा कर रहे थे कि मुख्यमंत्री से उनकी बात हो गई है। राऊ, महू, पीथमपुर तो उनका ही इलाका है वे धार जिले के प्रभारी हैं तो क्या मंत्रीजी अपने समर्थकों को नहीं समझा पाए?
फिर मत्री समर्थक सरकार विरोध में कैसे उतरा?
जो समर्थक मंत्री के इतने करीब हो क्या उसे यह नहीं पता था कि पीथमपुर में आग बुझाने की जिम्मेदारी मंत्रीजी को मिली है। सरकार ने उन्हें सबकुछ शांत करने के लिए भेजा है। फिर आखिर ऐसा क्या हुआ कि मंत्रीजी की बैठक के अगले ही दिन पीथमपुर बंद का आयोजन भी हो जाता है और उनका खास समर्थक खुद को आग भी लगा लेता है?
आग को भी लेकर उठ रहे हैं सवाल
विरोध प्रदर्शन के दौरान राजू पटेल और राजकुमार रघुवंशी ने खुद पर पेट्रोल छिड़क लिया। इसी बीच किसी ने माचिस जलाई, जिसने आग पकड़ ली। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार आग किसने लगाई, यह पता नहीं चला है। कहा तो यह भी जा रहा है कि पेट्रोल में पानी मिलाई गई थी, लेकिन शायद इसकी मात्रा कम रही।
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