इंदौर। इन दिनों कोलकाता में हुए ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर का मामला गर्म है। महाराष्ट्र के बदलापुर का मामला भी उबाल मार रहा है। करीब 14 साल पहले दिल्ली का निर्भया कांड भी ऐसे ही देशभर में उफान मार रहा था। निर्भया कांड की 14वीं बरसी चल रही है और हम अभी भी महिलाओं की सुरक्षा और महिला अपराधों की रोकथाम की बात कर रहे हैं। आगे भी करेंगे, क्योंकि सिर्फ बातें भर ही हो सकती हैं। जब सब बात कर रहे हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कैसे चुप रहते। 15 अगस्त को लाल किले से उन्होंने भी महिलाओं की सुरक्षा पर काफी कुछ कह डाला। और यकीन मानिए मोदीजी की लाख कोशिशों के बाद भी इस मामले में कुछ नहीं होने वाला।
इन सब हंगामों के बीच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच की एक रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट के लिए देश के कुल 4,809 मौजूदा सांसदों और विधायकों में से 4,693 के चुनाव आयोग को सौंपे गए शपथ पत्रों का अध्ययन किया गया है। इसमें 776 मौजूदा सांसदों में से 755 और 4,033 विधायकों में से 3,938 के शपथ पत्र शामिल हैं। यह शपथ पत्र 2019 से 2024 के बीच हुए चुनावों के हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 755 सांसदों और 3,938 विधायकों में से 151 विधायकों और सांसदों ने शपथ पत्र में स्वीकार किया है कि उन पर महिला उत्पीड़न से जुड़े अपराध दर्ज हैं। और इससे ज्यादा आश्चर्य की बात तो यह है कि इनमें से 16 माननीय अभी भी संसद में बैठे हैं और 135 ऐसे विधायक विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं की शोभा बढ़ा रहे हैं। चुनाव आयोग को दिए शपथ पत्र में इन माननीयों ने स्वीकार किया है कि उन पर बलात्कार, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, छेड़छाड़, वेश्यावृत्ति के लिए नाबालिग लड़कियों की खरीद-फरोख्त, घरेलू हिंसा जैसे अपराध दर्ज हैं।
अपराध प्रतिशत में भी भाजपा नंबर वन
इस रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा के नेता महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित 54 मामलों के साथ पहले नंबर पर हैं। इसके बाद कांग्रेस के 23 और टीडीपी के 17 नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज हैं। भाजपा और कांग्रेस के पांच-पांच सांसदों और विधायकों पर बलात्कार के आरोप हैं। आम आदमी पार्टी, बीएपी, एआईयूडीएफ, तृणमूल कांग्रेस और टीडीपी के एक-एक सांसद या विधायक पर बलात्कार के आरोप हैं।
हां, बंगाल जरूर है सबसे आगे
पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा ऐसे 25 माननीय हैं। आंध्र प्रदेश 21 के साथ दूसरे और ओडिशा 17 मौजूदा सांसदों और विधायकों के साथ आरोपों का सामना कर रहे हैं। 151 में से 16 मौजूदा सांसद/विधायक ने बलात्कार से संबंधित मामलों की घोषणा की है, जिनमें से दो मौजूदा सांसद हैं और 14 मौजूदा विधायक हैं।
सुप्रीम कोर्ट के डर से मिलती है जानकारी
आपको यह भी बताते चले कि माननीयों के आपराधिक मामलों की जो जानकारी हम तो पहुंची है उसमें भी सुप्रीम कोर्ट का डर है। सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में यह अनिवार्य कर दिया था कि राजनीतिक दलों को सार्वजनिक रूप से यह बताना होगा कि वे आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को क्यों टिकट दे रहे हैं। एडीआर ने सिफारिश की थी कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोक दिया जाना चाहिए।
सिर्फ भाषणों से कुछ नहीं होने वाला
यह आंकड़े किसी विरोधी दल ने फर्जी तरीके से नहीं बनाए। यह सारी जानकारियां नेताओं ने नामांकन दाखिल करते वक्त चुनाव आयोग को शपथ पत्र में खुद ही दिए हैं। इसलिए अब कोई एक्सक्यूज नहीं बचता। माननीय प्रधानमंत्रीजी आपकी नीयत में कोई खोट नहीं है, लेकिन इसके लिए कुछ गंभीरता से करना होगा। राजनीति से परे जाकर, इसके लिए भी मोदी गारंटी दीजिए। कम से भाजपा के लिए तो आप गारंटी दे ही सकते हैं।
Leave Comments