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केंद्रीय बजट 2025: कर-मुक्त आय सीमा और आर्थिक राहत उपायों पर नजरें

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने कर-मुक्त आय सीमा को मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की मांग की है।

केंद्रीय बजट 2025: कर-मुक्त आय सीमा और आर्थिक राहत उपायों पर नजरें

केंद्रीय बजट 2025 की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है, और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को इसे पेश करेंगी। मध्यम वर्ग, कर्मचारी समूह, और उद्योग जगत बड़े कर सुधारों और आर्थिक राहत की उम्मीद कर रहे हैं। खासतौर पर कर-मुक्त आय सीमा में बढ़ोतरी पर लोगों की नजरें टिकी हुई हैं।

मध्यम वर्ग की प्रमुख अपेक्षाएं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने कर-मुक्त आय सीमा को मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की मांग की है। साथ ही, बीएमएस ने पेंशनभोगियों को आयकर से छूट देने और 8वें वेतन आयोग का गठन करने का आग्रह किया है। इसके अलावा, ईपीएस-95 पेंशनभोगियों के लिए न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 5,000 रुपये करने और इसे महंगाई भत्ते (वीडीए) से जोड़ने की सिफारिश की गई है।

कृषि और श्रमिक कल्याण पर विशेष जोर
कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रोत्साहन पैकेज लागू करने, मनरेगा कार्यदिवसों को 200 दिन तक बढ़ाने, और जीएसटी रिफंड प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग की गई है। श्रमिक कल्याण के लिए ग्रेच्युटी गणना को बढ़ाकर साल में 30 दिन करने, नई पेंशन योजना (एनपीएस) की जगह पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को प्राथमिकता देने, और बीड़ी व ठेका श्रमिक बोर्डों के वित्त पोषण को मजबूत करने की सिफारिश की गई है।

व्यापार और उद्योग की प्राथमिकताएं
व्यापारिक संगठनों ने चीनी आयात पर निर्भरता कम करने के लिए व्यापक विनिर्माण रणनीति की मांग की है। इसके अतिरिक्त, आयुष्मान भारत योजना का विस्तार और सार्वभौमिक वृद्धावस्था पेंशन योजना लागू करने जैसे उपायों की अपेक्षा की जा रही है।

बजट 2025 से संभावनाएं
सरकार की ओर से कर-मुक्त आय सीमा में बढ़ोतरी और श्रमिक कल्याण उपायों के साथ-साथ कृषि और उद्योग के लिए बड़े प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा संभव है। अगर ये कदम उठाए गए, तो इससे न केवल मध्यम वर्ग को वित्तीय राहत मिलेगी, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।अब सभी की निगाहें 1 फरवरी 2025 पर टिकी हैं, जब यह साफ होगा कि सरकार इन मांगों पर क्या कदम उठाती है।

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