एफआईआई निवेश पर खतरा: क्या भारतीय शेयर बाजार पर मंडरा रहा है जोखिम?
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय बाजार में अब तक लगभग 800 अरब डॉलर का निवेश बनाए रखा है।
- Published On :
12-Feb-2025
(Updated On : 12-Feb-2025 10:16 am )
एफआईआई निवेश पर खतरा: क्या भारतीय शेयर बाजार पर मंडरा रहा है जोखिम?
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय बाजार में अब तक लगभग 800 अरब डॉलर का निवेश बनाए रखा है। हालांकि, उनकी बिकवाली जारी रही तो यह भारतीय बाजार की स्थिरता के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है। यूरोपीय इक्विटी रिसर्च फर्म BNP Paribas Exane की एक हालिया रिपोर्ट में यह चिंता जाहिर की गई है।
घट रही एफआईआई की हिस्सेदारी, बढ़ रहा घरेलू निवेश
रिपोर्ट के अनुसार, 2014-2020 के दौरान भारतीय इक्विटी में एफआईआई की हिस्सेदारी 20% थी, जो 2024 में घटकर 16% रह गई है। दूसरी ओर, घरेलू म्यूचुअल फंड्स (MF) ने निवेश बढ़ाकर 10 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचा दिया है। हालांकि, एफआईआई की पकड़ अभी भी मजबूत बनी हुई है, जिससे उनके निवेश निर्णयों का सीधा असर बाजार पर पड़ता है।
एफआईआई बिकवाली के पीछे क्या हैं प्रमुख कारण?
-
अमेरिका में बढ़ती बॉन्ड यील्ड – ऊंची यील्ड अमेरिकी परिसंपत्तियों को अधिक आकर्षक बना रही है, जिससे भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेश घट सकता है।
-
चीन का आर्थिक प्रोत्साहन – चीन द्वारा घोषित आर्थिक सुधारों ने वैश्विक निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है।
-
भारतीय बाजार का ऊंचा मूल्यांकन – निवेशकों को लग रहा है कि भारतीय शेयर बाजार महंगा हो गया है, जिससे वे मुनाफावसूली कर रहे हैं।
बाजार की स्थिरता कैसे बनी हुई है?
हालांकि एफआईआई की बिकवाली जारी है, लेकिन भारतीय बाजार में तेज गिरावट देखने को नहीं मिली। इसका मुख्य कारण घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) द्वारा मजबूत प्रवाह है, जिसने बिकवाली के दबाव को संतुलित किया है।
बढ़ती शेयर आपूर्ति: नई चुनौती
2024 में आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) और ऑफर फॉर सेल (OFS) के कारण बाजार में शेयरों की आपूर्ति रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। बढ़ती आपूर्ति से बाजार पर दबाव बढ़ सकता है, क्योंकि घरेलू निवेशकों को इसे अवशोषित करने में कठिनाई हो सकती है।
क्या भारतीय बाजार के लिए यह खतरे की घंटी है?
रिपोर्ट के अनुसार, यदि एफआईआई की बिकवाली लंबे समय तक जारी रहती है, तो यह बाजार के लिए एक बड़ा जोखिम बन सकता है। हालांकि, मजबूत घरेलू निवेश के चलते भारतीय बाजार अभी तक इस दबाव को झेलने में सफल रहा है। निवेशकों को सावधानीपूर्वक रणनीति अपनाने की जरूरत है ताकि वे बाजार के उतार-चढ़ाव से बच सकें।
Previous article
कैंप हिल वायरस: निपाह से भी घातक, पहली बार इंसानों में मिला नया हेनिपावायरस
Next article
सोने की तस्करी पर लगाम: आयात शुल्क कटौती से बड़ा असर
Leave Comments