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यही समय है, बांग्लादेश के हिंदुओं के पक्ष में एक हो जाओ और भारत सरकार को भी जगाओ

HBTV NEWS के न्यूज हेड हरीश फतेहचंदानी का कॉलम-सच कहता हूं

जब से बांग्लादेश में तख्ता पलट हुआ है, तब से वहां के हिंदुओं पर अत्याचार जारी है। यह वही देश है जिसे भारत ने गोद में बिठाकर पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त कराया था। अब यही बच्चा अपने पिता को आंख दिखाने लगा है। जब बांग्लादेश में हिंसा हो रही थी तो लगा कि तख्तापलट के कारण हिंदुओं को निशाने पर लिया गया है, लेकन यह सिलसिला तो थमने का नाम ही नहीं ले रहा।

पहले मंदिरों पर हमले हुए। फिर हिंदुओं के त्योहारों पर पाबंदी लगाने की कोशिश की गई। फिर धीरे-धीरे निशाना बनाकर उन्हें नौकरी से निकाला जाने लगा। जब हिंदू लोकतांत्रिक तरीके से विरोध में उतरे तो मुस्लिम संगठनों ने हमले किए। हिंदुओं को दौड़ा-दौड़ा कर मारा और वहां की पुलिस मूकदर्शक बनी रही। अब बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है। हद तो तब हो गई जब संतों को बिना बेवजह जेल में डाला जाने लगा।

अब भारत में बांग्लादेश के हिंदुओं के पक्ष में आवाज उठने लगी है, लेकिन इसमें काफी देर हो चुकी है। पानी सिर के ऊपर से जा रहा है। अब जरूरत है अपनी आवाज और ज्यादा बुलंद करने की। पूरे भारत के हिंदुओं को एकजुट होकर इतना जोरदार विरोध करना होगा कि बांग्लादेश की बहरी सरकार तक आवाज पहुंच जाए।

विडंबना यह है कि पश्चिम बंगाल, आसाम, झारखंड, बिहार से लेकर दिल्ली तक में बांग्लादेशी घुसपैठिए भरे पड़े हैं। इन्हें कुछ क्षेत्रीय दलों और कुछ बड़ी पार्टियों का समर्थन मिला हुआ है। इनमें से काफी संख्या घुसपैठिए मतदाता बन बैठे हैं। झारखंड में आदिवासी लड़कियों से शादी कर उनकी जमीनों पर कब्जा भी कर लिया है। भारत सरकार हमेशा से इन घुसपैठियों का मुद्दा उठाती रही है, लेकिन कभी अपने देश में ऐस नहीं हुआ कि इनके खिलाफ कोई हिंसा हुई हो। यहां तक की मानवीय आधार पर इन्हें न जनता की तरफ से और न सरकार की तरफ से कभी निकालने की कोशिश हुई।

ऐसे में यह चिन्ता का विषय है कि एक पिद्दी सा देश जिसे दुनिया के नक्शे पर भारत ने ही पैदा किया उसमें इतनी हिम्मत कहां से आ गई कि वह हिंदुओं को वहां से भगाने की कोशिश कर रहा है।

यही वक्त है। एकजुट हो जाइए। इंदौर में भी 4 दिसंबर को आरएसएस एक बड़ा आयोजन कर रहा है। आप भी लालबाग पहुंच जाइए और बांग्लादेश के हिंदुओं की आवाज बुलंद कीजिए।

हमारी आवाज इतनी बुलंद हो कि बांग्लादेश की सरकार ही नहीं अपने भारत सरकार के कान भी फटने लगें और वह कोई सख्त कदम उठाने पर मजबूर हो जाए। अब सिर्फ बयानबाजी और चेतावनी से काम नहीं चलने वाला…आखिर हमारा छप्पन इंच का सीना कब काम आएगा…

 

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