नई दिल्ली। हिंदी का हमेशा विरोध करने वाले तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने एक बार फिर मोर्चा संभाल लिया है। इस बार उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी भाषा वाले समारोहों के आयोजन पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि केंद्र को अपने फैसले पर दोबारा गौर करना चाहिए।
स्टालिन ने लिखा है कि अगर केंद्र सरकार फिर भी ऐसे समारोह आयोजित करना चाहती है तो उस राज्य में लोकल लैंग्वेज मंथ को भी उतने ही जोर-शोर से मनाया जाना चाहिए। स्टालिन ने सुझाव दिया है कि भारत सरकार उन सभी शास्त्रीय भाषाओं की समृद्धि का जश्न मनाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित कर सकती है जिन्हें उसने संबंधित राज्यों में मान्यता दी है। बताया जा रहा है कि स्टालिन का यह पत्र चेन्नई दूरदर्शन के स्वर्ण जयंती समारोह को लेकर आया है। इसे भारत सरकार ने हिंदी माह समारोह के साथ जोड़ दिया है।
संविधान में कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं
सीएम स्टालिन ने कहा है कि भारत के संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। अंग्रेजी और हिंदी दोनों को आधिकारिक कामों जैसे कि कार्यपालिका और न्यायपालिका और केंद्र व राज्य सरकारों के बीच बातचीत के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी स्थिति में भारत जैसे बहुभाषी देश में हिंदी को विशेष स्थान देना और गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी मंथ मनाना अन्य भाषाओं को नीचा दिखाने का प्रयास माना जाता है।
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