मोहन भागवत के बयान पर संतों और नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के मंदिर-मस्जिद विवाद पर बयान को लेकर संतों और राजनीतिक नेताओं ने सवाल उठाए हैं।
- Published On :
28-Dec-2024
(Updated On : 28-Dec-2024 11:21 am )
मोहन भागवत के बयान पर संतों और नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के मंदिर-मस्जिद विवाद पर बयान को लेकर संतों और राजनीतिक नेताओं ने सवाल उठाए हैं। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि मोहन भागवत हिंदुओं की पीड़ा को नहीं समझते। उन्होंने आरोप लगाया कि जब सत्ता हासिल करनी थी, तब मंदिरों का मुद्दा उठाया गया, लेकिन अब सत्ता मिलने के बाद मंदिर विवाद नहीं उठाने की नसीहत दी जा रही है। उन्होंने भागवत पर ‘राजनीतिक सुविधा’ के अनुसार बयान देने का आरोप लगाया।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि देश में कई हिंदू मंदिर तोड़े जा रहे हैं, लेकिन संघ प्रमुख को हिंदुओं का यह दर्द महसूस नहीं हो रहा है। भागवत ने पुणे में एक व्याख्यान में कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण सभी हिंदुओं की आस्था का विषय था, लेकिन अब कुछ लोग नए विवाद उठाकर "हिंदुओं के नेता" बनने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में तनाव फैलाने और विवाद पैदा करने का यह सिलसिला स्वीकार्य नहीं है।

मोहन भागवत के इस बयान पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी सवाल खड़े किए थे । भागवत ने एक समावेशी समाज की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा था कि भारत को दुनिया के सामने यह दिखाना चाहिए कि यहां विभिन्न धर्मों के लोग शांति से रह सकते हैं। हालांकि, उनके बयान को लेकर संतों और राजनीतिक नेताओं के आरोपों ने इसे विवाद का केंद्र बना दिया है।
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