नई दिल्ली। अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट जारी कर दी है। इसमें भारतीय शेयर बाजार नियामक सेबी प्रमुख माधवी बुच और उनके पति धवल बुच पर गौतम अडानी की कंपनियों को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच भी अडानी ग्रुप के साथ मिली हुई हैं। इसी कारण अडानी ग्रुप के खिलाफ उन्होंने 18 महीने में भी कार्रवाई नहीं की। सेबी प्रमुख माधवी बुच ने इन आरोपों को एक सिरे से खारिज करते हुए इसे चरित्रहनन की कोशिश बताया है।
उल्लेखनीय है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने इस खुलासे के बारे में शनिवार सुबह सोशल मीडिया एक्स पर ऐलान कर दिया था। तब से कयास लगाए जा रहे थे कि आखिर अडानी के बाद अब किसकी बारी है, लेकिन इस बार भी हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप को निशाने पर लिया है। गुप्त दस्तावेज के हवाले से हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है कि कथित अडानी घोटाले में इस्तेमाल की गई ऑफशोर संस्थाओं में सेबी चेयरपर्सन की हिस्सेदारी थी।
माधवी ने पति को ट्रांसफर किए शेयर
हिंडनबर्ग ने अपने आरोपों में कहा है कि अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 के दौरान माधवी बुच सेबी की होलटाइम मेंबर होने के साथ चेयरपर्सन थीं। उनका सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स नाम से कंसलटिंग फर्म में 100 फीसदी स्टेक था। 16 मार्च 2022 को सेबी के चेयरपर्सन पर नियुक्ति किए जाने से दो हफ्ते पहले उन्होंने कंपनी में अपने शेयर्स अपने पति धवल बुच के नाम ट्रांसफर कर दिए थे। हिंडनबर्ग ने कहा कि व्हीसलब्लोअर डॉक्यूमेंट के मुताबिक सेबी की मौजूदा चेयरपर्सन माधबी बुच के पति की ऑबसक्योर ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी है। इसका इस्तेमाल अडानी के पैसे के हेरफेर करने में किया गया है।
सेबी ने कार्रवाई में नहीं दिखाई कोई रुचि
हिंडनबर्ग ने कहा है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ रिपोर्ट को आए 18 महीने हो गए लेकिन सेबी ने कोई कार्रवाई नहीं की। मॉरीशस में अडानी ग्रुप के काले धन नेटवर्क की पूरी जानकारी देने के बाद भी एक्शन नहीं लिया जा रहा है। जून 2024 में सेबी ने उल्टा हमें ही कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।
माधवी बुच ने आरोपों को निराधार बताया
सेबी प्रमुख माधवी बुच और उनके पति धवल बुच ने शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि उनका वित्तीय लेन-देन एक खुली किताब की तरह है। बुच दंपति ने अपने एक जारी बयान में कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसके खिलाफ ही सेबी ने नोटिस जारी किया है, उसने जवाब में चरित्र हनन की कोशिश करने का ओछा विकल्प चुना है।
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