एसबीआई की रिपोर्ट: रुपये में सुधार की उम्मीद, आरबीआई की लिक्विडिटी नीतियों पर नजर
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा बाजार अस्थिरता के समाप्त होने के बाद भारतीय रुपये में मजबूत सुधार की संभावना है।
- Published On :
22-Jan-2025
(Updated On : 22-Jan-2025 03:19 pm )
एसबीआई की रिपोर्ट: रुपये में सुधार की उम्मीद, आरबीआई की लिक्विडिटी नीतियों पर नजर
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा बाजार अस्थिरता के समाप्त होने के बाद भारतीय रुपये में मजबूत सुधार की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉलर इंडेक्स (डीएक्सवाई) में अभी कुछ गति शेष है, लेकिन 2016-2017 की स्थिति के समान, रुपये में अस्थिरता के बाद सुधार देखा जा सकता है।
डॉलर इंडेक्स और वैश्विक कारक
डॉलर इंडेक्स (डीएक्सवाई), जो विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के मूल्य का माप है, में वृद्धि जारी रह सकती है।
- महत्वपूर्ण कारण:
- वैश्विक वित्तीय प्रवाह का उलटफेर।
- "बड़ी टेक" कंपनियों का प्रभुत्व और डोनाल्ड ट्रंप की "अमेरिका को फिर से महान बनाओ" जैसी नीतियां।
रुपये पर आरबीआई का हस्तक्षेप
- चालू वित्त वर्ष में भारत की मुद्रा प्रचलन (CIC) में 78,000 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का 11% है।
- नवंबर 2024 तक, आरबीआई ने रुपये को स्थिर रखने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में 1.7 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री की।
एसबीआई का दृष्टिकोण
रिपोर्ट का मानना है कि सबसे खराब दौर समाप्त होने वाला है।
- रुपये की मजबूती:
बाजार की स्थितियों के स्थिर होने और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कम होने के बाद, रुपये के मूल्य में सुधार की उम्मीद है।
लिक्विडिटी मैनेजमेंट फ्रेमवर्क (एलएमएफ)
एसबीआई का मानना है कि आरबीआई लिक्विडिटी मैनेजमेंट फ्रेमवर्क में महत्वपूर्ण बदलाव कर सकता है।
- प्रमुख बदलाव:
- दैनिक परिवर्तनीय दर रेपो (वीआरआर) नीलामी।
- बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने के लिए लिक्विडिटी संतुलन के अभिनव उपाय।
एसबीआई ने इन नीतियों को "स्मार्ट और व्यावहारिक" बताया है, जो अस्थायी और स्थायी लिक्विडिटी प्रबंधन के बीच संतुलन साधने का प्रयास है।
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