फरवरी में खुदरा महंगाई दर 7 महीने के निचले स्तर पर, RBI के लिए दर कटौती की संभावना बढ़ी
सब्जियों और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट के चलते फरवरी 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.61 प्रतिशत पर आ गई,
- Published On :
13-Mar-2025
(Updated On : 13-Mar-2025 06:06 am )
फरवरी में खुदरा महंगाई दर 7 महीने के निचले स्तर पर, RBI के लिए दर कटौती की संभावना बढ़ी
सब्जियों और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट के चलते फरवरी 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.61 प्रतिशत पर आ गई, जो पिछले सात महीनों का न्यूनतम स्तर है। इससे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए अगले महीने ब्याज दरों में एक और कटौती की संभावना मजबूत हो गई है।

महंगाई दर में बड़ी गिरावट
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के ताजा आंकड़ों के अनुसार:
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जनवरी 2025 में खुदरा महंगाई दर 4.26% थी, जबकि फरवरी 2024 में यह 5.09% थी।
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फरवरी 2025 में खाद्य मुद्रास्फीति मई 2023 के बाद सबसे कम रही।
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साल-दर-साल मुद्रास्फीति दर 3.75% दर्ज की गई।
NSO के मुताबिक, मुख्य मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति में यह गिरावट सब्जियों, अंडे, मांस और मछली, दालों और दूध के दामों में नरमी के कारण आई है।
RBI के लिए ब्याज दर में कटौती की गुंजाइश
रिजर्व बैंक को खुदरा महंगाई को 4% (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के लक्ष्य पर बनाए रखना होता है। महंगाई नियंत्रण में दिखने के चलते RBI ने फरवरी में रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की थी। अगली मौद्रिक नीति समीक्षा 9 अप्रैल को होगी, जहां एक और कटौती संभव है।
औद्योगिक उत्पादन में सुधार
विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से जनवरी 2025 में औद्योगिक उत्पादन 5% बढ़ा। सरकार ने दिसंबर 2024 के लिए औद्योगिक विकास दर के आंकड़े को संशोधित कर 3.5% कर दिया है, जो पहले 3.2% अनुमानित था।
NSO के आंकड़ों के अनुसार:
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विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन जनवरी 2025 में 5.5% बढ़ा, जबकि जनवरी 2024 में यह 3.6% था।
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खनन उत्पादन की वृद्धि दर 6% से घटकर 4.4% रह गई।
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बिजली उत्पादन की वृद्धि दर भी 5.6% से गिरकर 2.4% पर आ गई।
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अप्रैल-जनवरी 2025 में IIP वृद्धि 4.2% रही, जो पिछले साल इसी अवधि में 6% थी।
आगे की संभावनाएं
महंगाई में गिरावट और औद्योगिक उत्पादन में सुधार को देखते हुए RBI पर ब्याज दरों में और राहत देने का दबाव रहेगा। अब निवेशक और उद्योग जगत की नजरें 9 अप्रैल को आने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा पर टिकी हैं।
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