प्रवासी भारतीय मतदाताओं का पंजीकरण बढ़ा, लेकिन मतदान में कम रही रुचि
प्रवासी भारतीयों ने मतदाता सूची में पंजीकरण कराने में उत्साह दिखाया, लेकिन मतदान में उनकी भागीदारी बेहद कम रही
- Published On :
30-Dec-2024
(Updated On : 30-Dec-2024 10:56 am )
प्रवासी भारतीय मतदाताओं का पंजीकरण बढ़ा, लेकिन मतदान में कम रही रुचि
प्रवासी भारतीयों ने मतदाता सूची में पंजीकरण कराने में उत्साह दिखाया, लेकिन मतदान में उनकी भागीदारी बेहद कम रही। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, साल 2024 में लगभग 1.2 लाख प्रवासी भारतीयों ने मतदाता सूची में नाम दर्ज कराया, लेकिन लोकसभा चुनावों में केवल 2,958 प्रवासी मतदाताओं ने भारत आकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
केरल में सर्वाधिक पंजीकरण, लेकिन घटती संख्या
केरल में सबसे अधिक 89,839 प्रवासी मतदाता पंजीकृत हुए, जो कि 2019 के 99,844 की तुलना में कम हैं। हालांकि, इस बार केरल से ही 2,670 मतदाता भारत आकर मतदान में शामिल हुए।

अन्य राज्यों में बेहद कम भागीदारी
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गुजरात: 885 प्रवासी मतदाता पंजीकृत थे, लेकिन केवल 17 ने मतदान किया।
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महाराष्ट्र: 5,097 पंजीकृत एनआरआई मतदाताओं में से सिर्फ 17 ने वोट डाला।
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आंध्र प्रदेश: 7,927 पंजीकृत मतदाताओं में से केवल 195 ने मतदान किया।
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असम और गोवा: यहां कोई भी प्रवासी मतदाता वोट देने नहीं आया।
वोटिंग में कमी के कारण
प्रवासी मतदाताओं ने भारत न आ पाने के कई कारण बताए, जिनमें यात्रा लागत, विदेश में रोजगार, शिक्षा और अन्य व्यक्तिगत बाध्यताएं शामिल हैं।
डाक मतपत्र और प्रॉक्सी वोटिंग की मांग
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2018 में, 16वीं लोकसभा ने प्रवासी भारतीयों को प्रॉक्सी वोटिंग का अधिकार देने के लिए विधेयक पारित किया, लेकिन यह राज्यसभा में पारित नहीं हो सका।
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2020 में, चुनाव आयोग ने केंद्रीय कानून मंत्रालय को प्रवासी मतदाताओं के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित डाक मतपत्र प्रणाली का प्रस्ताव दिया। हालांकि, अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
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वर्तमान में, केवल सेवारत मतदाता ही ETPBS का उपयोग कर सकते हैं।
चुनाव आयोग का कहना है कि डाक मतपत्र की सुविधा प्रदान करने के लिए कानून में बदलाव की आवश्यकता है। प्रवासी मतदाता इस सुविधा के लिए लंबे समय से अनुरोध कर रहे हैं, ताकि वे आसानी से अपने मताधिकार का उपयोग कर सकें।
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