केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून की अधिसूचना जारी कर दी. साल 2019 में पारित हुए इस कानून को लोकसभा के चुनाव की तारीखों के एलान से ठीक पहले नोटिफाई किया गया है. अधिसूचना जारी होने के बाद असम में इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.
इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए प्रताड़ित शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी. लेकिन इस कानून में मुसलमान शरणार्थियों को नागरिकता नहीं देने का प्रावधान है.
सामाजिक कार्यकर्ता, नेता और समाज के एक तबके का कहना था कि ये क़ानून 'खुले तौर पर मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है जो संविधान की आत्मा के विपरीत है. साल 1979 में अवैध प्रवासियों की पहचान करने और उन्हें डिपोर्ट किए जाने की मांग लेकर छह साल तक आंदोलन चलाने वाले ऑल असम स्टूडेंट यूनियन यानी एएएसयू ने कहा कि वह 'अदालत के अंदर और बाहर इस कानून के खिलाफ लड़ेगा. एएएसयू और 30 ग़ैर-राजनीतिक दल ने इस क़ानून की कॉपियां जलाई और राज्य में कई जगह इसे लेकर प्रदर्शन किए गए.
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