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अवैध आप्रवासियों पर सियासत: अमेरिका से लौटे भारतीयों पर हथकड़ी से लेकर पंजाब तक की राजनीति

अमेरिका से अवैध रूप से रह रहे भारतीयों को वापस भेजे जाने का मुद्दा अब एक बड़ा राजनीतिक विवाद बन चुका है

Article By :
Abhilash Shukla

abhilash shukla editor

अवैध आप्रवासियों पर सियासत: अमेरिका से लौटे भारतीयों पर हथकड़ी से लेकर पंजाब तक की राजनीति

अमेरिका से अवैध रूप से रह रहे भारतीयों को वापस भेजे जाने का मुद्दा अब एक बड़ा राजनीतिक विवाद बन चुका है। पहले हथकड़ी लगाकर भेजे जाने पर हंगामा हुआ, फिर यह मुद्दा लोकसभा तक पहुंचा। अब विवाद इस पर हो रहा है कि विमान पंजाब में ही क्यों उतारे जा रहे हैं? लेकिन इस पूरे मुद्दे का दूसरा पक्ष भी उतना ही महत्वपूर्ण है—क्या अवैध रूप से विदेशों में रहना जायज है? और क्या भारत में रोहिंग्या मुद्दे पर भी यही तर्क लागू नहीं होना चाहिए?

अवैध आप्रवासियों पर दोहरी राजनीति?

 जब भारतीय अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन या यूरोप में अवैध रूप से रहने की कोशिश करते हैं और वहां की सरकारें उन्हें डिपोर्ट करती हैं, तो देश में बवाल मच जाता है।
जब भारत रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजने की बात करता है, तो उसे अमानवीय करार दिया जाता है।

क्या घुसपैठ को जायज ठहराने की हो रही कोशिश ?

 क्या सिर्फ इसलिए कि वे भारतीय हैं, उन्हें अवैध रूप से रहना माफ कर दिया जाए?
जब भारत में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजने की बात होती है, तो "मानवाधिकार" का मुद्दा क्यों उठता है?

 

हथकड़ी पर हंगामा: अमेरिका का दोहरा मापदंड?

इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब अमेरिका ने वापस भेजे गए भारतीयों को हथकड़ी लगाकर भेजा।
यह पूरी तरह से मानवाधिकारों का उल्लंघन था।
हर अपराधी अवैध अप्रवासी नहीं होता, और हर अवैध अप्रवासी अपराधी नहीं होता।
भारत सरकार ने इस पर आपत्ति जताई, और अमेरिका को अपना रुख बदलना पड़ा।

लेकिन इसके बाद विवाद जहां विमान उतरा उस पर शिफ्ट हो गया, जो असली मुद्दे से भटकने जैसा है।

 

विमान पंजाब में ही क्यों उतारा गया?

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का आरोप:

"मोदी सरकार पंजाब को बदनाम करना चाहती है।"
"यह दिखाने की कोशिश हो रही है कि सभी अवैध अप्रवासी पंजाबी हैं।"

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और अकाली दल के गुलज़ार सिंह राणिके का समर्थन:

 "विमान दिल्ली, गुजरात या हरियाणा में क्यों नहीं उतरा?"
"यह पंजाब को बदनाम करने की साजिश है।"

लेकिन असल मुद्दा क्या है?

यह सही है कि अवैध अप्रवासियों में पंजाबियों की संख्या अधिक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सिर्फ पंजाब ही दोषी है।
गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु—हर राज्य से लोग अवैध रूप से विदेश जाते हैं।
अगर पंजाबियों को टारगेट किया जा रहा है, तो यह न्यायसंगत नहीं है।

 

भारत में रोहिंग्या घुसपैठियों पर क्यों चुप्पी?

भारत में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए बड़ी संख्या में रह रहे हैं।
इनकी वजह से अपराध, सुरक्षा और आर्थिक समस्याएं बढ़ रही हैं।
जब भारत सरकार इन्हें डिपोर्ट करने की बात करती है, तो "मानवाधिकार" की दुहाई दी जाती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम करने की कोशिश की जाती है।

अमेरिका कर सकता है, भारत नहीं?

अमेरिका अपने देश में अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट कर सकता है, लेकिन भारत नहीं?
अमेरिका अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठा सकता है, लेकिन भारत नहीं?

दोहरी मानसिकता कब तक?

अगर अमेरिका का फैसला सही  है, तो भारत भी रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को पनाह देने के लिए बाध्य नहीं है।
अगर भारत को अवैध घुसपैठियों को निकालने का अधिकार नहीं है, तो अमेरिका, कनाडा और यूरोप को भी यह हक नहीं होना चाहिए।

 

असली मुद्दे से भटकाव

 अमेरिका द्वारा हथकड़ी पहनाकर भेजना बेहद निंदनीय था, लेकिन अवैध अप्रवासन का मुद्दा वास्तविक है।
अगर पंजाब के लोग अवैध रूप से अमेरिका जाते हैं, तो इसकी जड़ें पंजाब के मानव तस्करी नेटवर्क और बेरोजगारी में छिपी हैं।
इस पूरे विवाद को राजनीतिक रंग देकर असली मुद्दे से ध्यान हटाने की कोशिश की जा रही है।

भारत को दो टूक फैसला लेना होगा:

 अगर अमेरिका, कनाडा और यूरोप अवैध अप्रवासियों को निकाल सकते हैं, तो भारत भी रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को निकाल सकता है।
अगर अमेरिका का फैसला गलत   है, तो भारत पर  अंतरराष्ट्रीय दबाव क्यों डाला जाता है?

केंद्र सरकार को स्पष्ट नीति अपनानी होगी:

 जो भारतीय अवैध रूप से विदेशों में रह रहे हैं, उन्हें कानूनी तरीकों से वापस लाना चाहिए।
भारत में अवैध रूप से रह रहे घुसपैठियों को बिना किसी राजनीतिक दबाव के वापस भेजना चाहिए।

क्योंकि नियम सबके लिए समान होने चाहिए—फिर चाहे वह भारतीय अप्रवासी हो या रोहिंग्या घुसपैठिए! 

 

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