नई दिल्ली। दिल्ली में आज अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अलग ही अंदाज दिखा। मंच पर जैसे ही शरद पवार पहुंचे तो पीएम मोदी ने उनके लिए कुर्सी पकड़ी और फिर गिलास में पानी भरा। यह नजारा देख पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
विज्ञान भवन में आयोजित इस सम्मेलन का उद्घाटन पीएम मोदी ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि मराठी भाषा अमृत से भी बढ़कर मीठी है और वह इस भाषा को बोलने का प्रयास और इसके नए शब्दों को सीखने की कोशिश निरंतर करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि आरएसएस के कारण ही उन्हें मराठी भाषा और मराठी परंपरा से जुड़ने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे हुए हैं, जब अहिल्याबाई होल्कर की जयंती का 300वां वर्ष है और कुछ ही समय पहले बाबा साहेब आंबेडकर के प्रयासों से बने देश के संविधान ने भी अपने 75 वर्ष पूरे किए हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान पिछले दिनों मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने का भी उल्लेख किया और कहा कि देश और दुनिया में 12 करोड़ मराठी भाषी लोगों को इसका दशकों से इंतजार था। उन्होंने कहा कि यह काम पूरा करने का अवसर मुझे मिला। मैं इसे अपने जीवन का बड़ा सौभाग्य मानता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन एक भाषा या राज्य तक सीमित आयोजन नहीं है, मराठी साहित्य के इस सम्मेलन में आजादी की लड़ाई की महक है। उन्होंने कहा कि इसमें महाराष्ट्र और राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत है। कार्यक्रम में पीएम मोदी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित कई नेता मौजूद थे।
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