नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को वन नेशन, वन इलेक्शन विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह विधेयक पेश किया है। विपक्ष इसका जोरदार विरोध कर रहा है। विपक्ष ने इसे संघीय ढांचे पर हमला करार देते हुए कहा है कि यह एक नया संविधान लाने का प्रयास है।
कांग्रेस ने कहा कि उसका मानना है कि यह विधेयक असंवैधानिक है और संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि भले ही एनडीए के सहयोगी टीडीपी और जदयू इसका खुलकर विरोध न करें, लेकिन वे इस विधेयक को नहीं चाहते हैं। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य देश में लोकतंत्र और जवाबदेही का गला घोंटना है। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार का असली उद्देश्य नया संविधान लाना है।
उल्लेखनीय है कि वन नेशन, वन इलेक्शन का विधेयक पिछले काफी समय से भाजपा के एजेंडे में है। इसे पूरा करने के मकसद से केंद्र सरकार ने 2 सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने 14 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी। कमेटी ने रिपोर्ट में कहा कि एक साथ चुनाव कराने से चुनावी प्रक्रिया में बदलाव आ सकता है। वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए बनी कमेटी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस के पूर्व नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और चीफ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोठारी शामिल थे। इसके अलावा विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर क़ानून राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल और डॉ. नितेन चंद्रा समिति में शामिल थे।
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