नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में गुरुवार को नया आयकर बिल 2025 पेश कर दिया। वित्त मंत्री ने इसका ऐलान अपने बजट भाषण में किया था। इस विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट की भी मंजूरी मिल चुकी है। 622 पन्ने के इस विधेयक में 23 अध्याय हैं और 536 धाराएं हैं। इस विधेयक के पारित होने के बाद नया आयकर कानून अधिक व्यवस्थित और वर्तमान कानून की तुलना में सरल होगा।
एक बार कानून बनने के बाद आयकर विधेयक 2025 छह दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा। पहले का कानून समय के साथ और विभिन्न संशोधनों के बाद काफी जटिल हो गया है, इसलिए इसकी जगह नया आयकर विधेयक लाया जा रहा है। सरकार की ओर से प्रस्तावित नए कानून में, आयकर अधिनियम, 1961 में उल्लिखित ‘पिछले वर्ष’ (FY) शब्द को बदलकर ‘कर वर्ष’ कर दिया गया है। इसके साथ ही, मूल्यांकन वर्ष (AY) की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है।
कर निर्धारण वर्ष की अवधारणा होगी समाप्त
वर्तमान में, पिछले वर्ष (2023-24) में अर्जित आय के लिए, कर का भुगतान निर्धारण वर्ष (2024-25) में किया जाता है। इस नये विधेयक में पिछले वर्ष और निर्धारण वर्ष की अवधारणा को हटा दिया गया है और सरलीकृत विधेयक में केवल कर वर्ष की बात कही गई है। आयकर विधेयक, 2025 में 536 धाराएं शामिल हैं, जो वर्तमान आयकर अधिनियम, 1961 के 298 धाराओं से अधिक हैं। मौजूदा कानून में 14 अनुसूचियां हैं जो नए कानून में बढ़कर 16 हो जाएंगी।
पुराने आयकर कानून में हुए हैं कई बदलाव
नए आयकर विधेयक में भी वर्तमान कानून की तरह ही अध्यायों की संख्या 23 ही रखी गई है। जबकि पृष्ठों की संख्या काफी कम होकर 622 हो गई है, जो वर्तमान के भारी-भरकम अधिनियम का लगभग आधा है। वर्तमान में जो कानून अमल में है, उसमें पिछले छह दशकों के दौरान किए गए संशोधन शामिल हैं। जब आयकर अधिनियम, 1961 लाया गया था,
नए इनकम टैक्स बिल की बड़ी बातें
इनकम टैक्स बिल में असेसमेंट ईयर को टैक्स 'ईयर' से रिप्लेस किया गया है। बिल के पन्ने 823 से घटकर 622 रह गए हैं। हालांकि, चैप्टर्स की संख्या 23 ही है। सेक्शन 298 से बढ़ाकर 536 कर दिए गए हैं और शेड्यूल्स भी 14 से बढ़कर 16 हो गए है। क्रिप्टो एसेट्स को किसी भी अनडिस्क्लोज्ड इनकम के तहत गिना जाएगा, जैसे अभी नकदी, बुलियन और ज्वेलरी को शामिल किया जाता है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि डिजिटल ट्रांजैक्शन को भी पारदर्शी और कानूनी तरीके से कंट्रोल किया जा सके। बिल में टैक्सपेयर्स चार्टर को शामिल किया गया है, जो टैक्स पेयर्स के अधिकारों को प्रोटेक्ट करेगा और टैक्स प्रशासन को ज्यादा ट्रांसपेरेंट बनाएगा। यह चार्टर टैक्सपेयर्स के हितों की रक्षा करने के साथ टैक्स अधिकारियों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को भी साफ करेगा। सैलरी से संबंधित कटौतियां, जैसे कि स्टैंडर्ड डिडक्शन, ग्रेच्युटी और लीव एनकैशमेंट को अब एक ही जगह पर लिस्ट कर दिया गया है। पुराने कानून में मौजूद मुश्किल एक्सप्लेनेशन और प्रावधानों को हटा दिया गया है, जिससे टैक्सपेयर्स के लिए इसे समझना आसान हो जाएगा।
12 लाख रुपए तक की कमाई पर टैक्स नहीं
इससे पहले बजट में इनकम टैक्स को लेकर बड़ी राहत दी गई थी। न्यू टैक्स रिजीम के तहत अब 12 लाख रुपए तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए 75 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह छूट 12.75 लाख रुपए हो जाएगी।
नए बिल की क्या थी जरूरत
इनकम टैक्स अधिनियम कई दशकों पुराना होने के कारण तकनीकी रूप से जटिल और व्यवहारिक रूप से बोझिल हो गया था। इसमें समय-समय पर बदलाव किए गए, लेकिन यह आज की डिजिटल और आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए पूरी तरह से अनुकूल नहीं था। इसलिए, सरकार ने टैक्स सिस्टम को सरल बनाने, टैक्सपेयर्स को राहत देने और अनुपालन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए नए इनकम टैक्स बिल 2025 को पेश किया है।
आम आदमी को क्या होगा फायदा?
12 लाख तक की आय टैक्स फ्री होने से मध्यम वर्ग के लोगों को राहत मिलेगी। इसके अलावा, टैक्स फाइलिंग आसान होगी, पेपरवर्क कम होगा और ऑनलाइन टैक्स रिटर्न फाइलिंग को बढ़ावा मिलेगा। नए समाधान तंत्र से टैक्स विवादों का हल जल्दी होगा. वहीं, इस बिल की वजह से डिजिटल ट्रांजेक्शन को भी बढ़ावा मिलेगा।
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